ब्रह्मपुत्र का पानी बांध रहा चीन… जानिए भारत ने आज दिए कौन से दो सख्त संदेश

भारत ने होटन प्रांत में दो नई काउंटी की घोषणा पर चीन के समक्ष विरोध दर्ज कराया है, क्योंकि इनके कुछ हिस्से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दायरे में आते हैं.

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भारत ने होटन प्रांत में दो नई काउंटी की घोषणा पर चीन के समक्ष विरोध दर्ज कराया है, क्योंकि इनके कुछ हिस्से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दायरे में आते हैं. विदेश मंत्रालय ने चीन द्वारा होटन प्रांत में दो नई काउंटी स्थापित करने पर कहा कि हमने इस इलाके में भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी करना जारी रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे.

भारत ने चीन को दिया सख्त संदेश

  • चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाके वाले राज्यों के हितों को नुकसान न पहुंचे: ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने संबंधी चीन की योजना पर विदेश मंत्रालय ने कहा
  • हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी करना जारी रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे: ब्रह्मपुत्र पर सबसे बड़ा बांध बनाने संबंधी चीन की योजना पर विदेश मंत्रालय ने कहा
  • हमने इस इलाके में भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है: विदेश मंत्रालय ने चीन द्वारा होटन प्रांत में दो नई काउंटी स्थापित करने के संबंध में यह बात कही

चीन की बांध परियोजना पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 25 दिसंबर 2024 को सिन्हुआ द्वारा जारी जानकारी का हवाला देते हुए कहा, "हमने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्संगपो नदी पर प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना के बारे में सुना है. नदी के पानी पर हमारे उपयोगकर्ता अधिकार होने के नाते, हमने लगातार विशेषज्ञ स्तर और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष को अपने विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं.

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उन्होंने आगे कहा, "नवीनतम रिपोर्ट के बाद, यह सुनिश्चित किया गया है कि पारदर्शिता और निचले देशों के साथ परामर्श की आवश्यकता है. हमने चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र नदी के निचले राज्यों के हितों को ऊपरी क्षेत्रों में हो रही गतिविधियों से कोई नुकसान न पहुंचे. हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी और आवश्यक उपायों को जारी रखेंगे."

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चीनी सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने 27 दिसंबर को रिपोर्ट किया कि उत्तर-पश्चिमी चीन के झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र की सरकार ने क्षेत्र में दो नई काउंटियों, हेआन काउंटी और हेकांग काउंटी, की स्थापना का ऐलान किया था.

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क्या है भारत की चिंता
बता दें कि चीन दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस बांध से भी तीन गुना बड़ा बांध ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाने जा रहा है जो भारत के लिए चिंता की एक नई और बड़ी वजह बनने जा रहा है. ब्रह्मपुत्र नदी जो चीन के स्वायत्तशासी तिब्बत प्रांत में मानसरोवर झील के करीब चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है उसे चीन में यार्लुंग सांगपो कहा जाता है. इस नदी पर चीन पहले ही कई बड़े बांध बना चुका है. अब दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी है.

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कहां  बनाने जा रहा है हाइड्रोपावर डैम?
कुल मिलाकर करीब 2900 किलोमीटर लंबी यार्लुंग सांगपो नदी हिमालय के उस पार तिब्बत के पठार पर 2057 किलोमीटर दूर तक पश्चिम की ओर बहती है और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश से होकर भारत में प्रवेश करती है. भारत के बाद ये बांग्लादेश जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. लेकिन भारत में प्रवेश से ठीक पहले ये नदी एक तीव्र यू टर्न लेती है. यही वो इलाका है जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने जा रहा है, जिसे ग्रेट बेंड डैम (Great Bend Dam) भी कहा जा रहा है.

बांध ब्रह्मपुत्र नदी के पूरे इकोसिस्टम को प्रभावित करेगा
ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े बांध से भारत में भी चिंता पैदा हो गई है. आशंका जताई जा रही है कि इससे चीन ब्रह्मपुत्र के पानी पर नियंत्रण कर सकेगा. बांध के बड़े जलाशय में अपनी जरूरत के मुताबिक पानी रोक सकेगा और ज़रूरत के हिसाब से छोड़ सकेगा. अगर कभी चीन अचानक पानी छोड़ दे तो भारत में ब्रह्मपुत्र के आसपास के इलाकों में बाढ़ आ सकती है. चीन के साथ विश्वास की कमी ऐसी चिंताओं को और बढ़ाती है. बरसात के दिनों में ब्रह्मपुत्र वैसी ही विकराल हो उठती है. ये बांध ब्रह्मपुत्र नदी के पूरे इकोसिस्टम को प्रभावित करेगा. उसमें रहने वाले जलीय जीव जंतुओं पर इसका असर पड़ना तय है. 

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