1971 वाली बर्बादी याद कर 2025 में भी खौफजदा था पाकिस्तान, ऐसे में जान बचाने के लिए लगाई थी सीजफायर की गुहार

मतलब 1971 और अब के सैन्य कार्रवाई में भले ही अंतर हो. लेकिन, पाकिस्तान को यह समझ में आ गया कि उसकी तरफ से छेड़े गए युद्ध का नतीजा विध्वंसकारी हो सकता है. ऐसे में बेहतर होगा कि इस युद्ध को यहीं रोका जाए. 

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पाकिस्तानी सेना के आला अधिकारियों द्वारा भारतीय सेना के आला अधिकारियों से फोन के जरिए बातचीत करना और यह कहना कि सीजफायर के लिए वह तैयार है. भारतीय सेना के अदम्य साहस और पाकिस्तान को पहुंची बड़ी क्षति का नतीजा है.  पाकिस्तान 1971 जैसी बेइज्जती अब झेलने की हिमाकत नहीं करना चाहता है. उसे पता है कि अभी तो भारत की सेना ने ट्रेलर ही दिखाया है. जब वह इतना भयावह है तो फिर पूरी फिल्म कितनी खौफनाक होगी. 

एस-400 डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित

दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद भारतीय सेना की तरफ से जानकारी दी गई और पाकिस्तान की तरफ से पिछले कुछ दिनों से फैलाए गए झूठ से भी पर्दा उठाया गया. पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि एस-400 डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है. इसके अलावा, ब्रह्मोस मिसाइल बेस भी सही सलामत है. 

एस-400 और ब्रह्मोस बेस को नुकसान पहुंचाया

कर्नल कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने अपने जेएफ-17 से हमारे एस-400 और ब्रह्मोस बेस को नुकसान पहुंचाया, जो पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अफवाह फैलाई कि उसने हमारे आयुध डिपो को नुकसान पहुंचाया, जो गलत है और हमारे आयुध डिपो पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

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सैन्य अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से झूठा आरोप लगाया गया कि भारतीय सेना ने मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया, जबकि यह गलत है. भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और हमारी सेना देश के संवैधानिक मूल्यों की बहुत प्यारी झलक है. 

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उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी नुकसान पहुंचाया है, चाहे वह जमीन पर हो या हवा में. इसके साथ ही भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के स्कर्दू, जकोबाबाद, सरगोदा और भुलारी एयरफील्ड को काफी नुकसान पहुंचाया है. भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और रडार सिस्टम को एयर स्पेस में अक्षम कर दिया है. 

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उन्होंने कहा कि एलओसी के पास पाकिस्तान के कमांड और कंट्रोल, सैन्य ढांचा और सैन्यकर्मियों को काफी नुकसान पहुंचा और पाकिस्तान की सुरक्षा और हमला करने की क्षमता नष्ट कर दी गई है.

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इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने शनिवार दोपहर भारतीय सेना के डीजीएमओ से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी शर्तों पर सीजफायर किया है और 12 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ फिर से बात करेंगे.

ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर पाकिस्तान को 2025 में भी 1971 वाला खौफ अंदर ही अंदर क्यों खाए जा रहा था?

1971 में क्या हुआ था?

दरअसल, 1971 में जब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना युद्ध के मैदान में थी तो उस जगह की स्थानीय आबादी, जो अब बांग्लादेश कहलाती है, पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय रूप से संघर्ष कर रही थी. भारत की सेना को वहां की जनता का पूरा समर्थन प्राप्त था. लेकिन, 2025 में ऐसा नहीं है. आज पाकिस्तानी सेना अपनी जनता और जनमत पर लगभग पूरी तरह से नियंत्रण रखती है.

ऐसे कठिन हालात में भी भारत ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसके आतंकी ठिकानों को तबाह किया है और आतंक के संरक्षकों का जीवन तहस-नहस कर दिया है.

1971 के विपरीत, अब पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं. इसके बावजूद, भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है, जिसने एक परमाणु संपन्न राष्ट्र की सीमा में घुसकर बार-बार प्रहार किया है. 

पाकिस्तान भी जानता है कि यह 1971 वाला भारत नहीं है. जब उस समय पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिक हमने कैदी बनाकर रख लिए थे तो अभी तो भारत पहले से ज्यादा संपन्न, समृद्ध और आत्मरक्षा करने में सक्षम है. भारतीय सेना आधुनिक हथियारों से लैस है. भारत के पास एस-400 जैसी एयर डिफेंस सिस्टम है. जिसका जलवा पाकिस्तान देख चुका है, जो भारतीय सेना का सुदर्शन चक्र है. जिसने भारत की सीमा में घुस रहे पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों और ड्रोन की टोह ली और हवा में उसे नष्ट कर दिया. 

1971 के मुकाबले हमारी सैन्य शक्ति कई गुना बेहतर है. तब हमने जब पाकिस्तान को घुटने टेकने पर विवश कर दिया था तो अब उसका क्या हश्र होता, यह वह अच्छी तरह से जानता है. 

1971 में महज 13 दिन की लड़ाई में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और उसके 90 हजार से ज्यादा फौजियों को हमने युद्धबंदी बना लिया था. उस समय तो पाकिस्तान के साथ पश्चिमी गठबंधन और अरब के देश मजबूती से खड़े थे. तब अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था. आज भारत के साथ अमेरिका सहित विश्व के तमाम देश खड़े हैं और पाकिस्तान एकदम अलग-थलग पड़ गया है. तब चीन भी पाकिस्तान की मदद कर रहा था. लेकिन, इस बार उसने मदद का अपना तरीका बदला था और वह सीधे युद्ध में पाकिस्तान के साथ उतरना नहीं चाह रहा था. लेकिन, पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराने के बारे में जरूर बात कर रहा था. तब श्रीलंका ने भी डर से ही सही अपने हवाई अड्डे का इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तान को इजाजत दे दी थी क्योंकि उसे लग रहा था कि भारत कहीं उसके भी दो टुकड़े ना करा दे. 

1971 में जो देश पाकिस्तान के साथ खड़े थे, उनके साथ अभी भारत के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध बेहतर हैं. ऐसे में पाकिस्तान के लिए इस युद्ध में लंबे समय तक टिका रहना मुश्किल था. फिर क्या था, उसे तीन-चार दिनों में ही अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने युद्ध के हालात और उसके लिए विनाशकारी हों, इससे पहले ही फोन कर अपना डर जाहिर कर दिया. पाकिस्तान यह भी जानता है कि अगर इस बार वह ज्यादा देर तक उलझा रहेगा तो 1971 की तरह उससे और टुकड़े होंगे. बलूचिस्तान और पीओके उसके हाथ से चला जाएगा. 

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को तड़के पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था और इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से किए गए दुस्साहस को भारत ने न सिर्फ नाकाम किया, बल्कि ऐसे दुस्साहस के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कई लॉन्चिंग पैड भी पूरी तरह ध्वस्त कर दिए.  

एक तरफ जहां आतंकवाद के खिलाफ हमारी सेना ने उपलब्धि हासिल की, वहीं कूटनीतिक स्तर पर भी हम सफल रहे. इसके बाद अपनी तबाही का मंजर देखकर युद्धविराम की गुहार पाकिस्तान ने लगाई. फोन उसके डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स) की तरफ से किया गया.

भारत ने इसके बाद युद्धविराम अपनी शर्तों पर किया. ऐसे में केवल सैन्य कार्रवाई रोकी गई और सिंधु जल संधि का निलंबन तथा पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द करने जैसे नीतिगत फैसले अब भी प्रभावी हैं. इसके अलावा, उन्होंने युद्धविराम में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका से भी इनकार किया.

'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ प्रमुख आतंकवादी शिविर ध्वस्त कर दिए, जिनका इस्तेमाल आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने और जम्मू-कश्मीर में भेजने के लिए लॉन्चपैड के रूप में किया जा रहा था. ये आतंकवादी शिविर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के थे. 

भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर सैकड़ों किलोमीटर तक अपने लक्ष्य पर सटीक हमले किए. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी हमले किए गए, जिसे पाकिस्तान की सेना का रणनीतिक गढ़ माना जाता है. बहावलपुर में संवेदनशील आतंकवादी ठिकानों तक भी भारतीय सेना पहुंच गई, जहां अमेरिका ने भी अपने ड्रोन भेजने की हिम्मत नहीं की थी.

भारतीय सेना ने पाकिस्तान के वायु रक्षा ग्रिड को सफलतापूर्वक बायपास या जाम कर दिया. कुल 23 मिनट की अवधि में किए गए हमलों की तेज और सटीक प्रकृति ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों में कमियों को उजागर किया. एससीएएलपी मिसाइलों और हैमर बमों से लैस भारतीय राफेल जेट ने बिना किसी नुकसान के मिशन को अंजाम दिया, जिससे तकनीकी और रणनीतिक श्रेष्ठता का प्रदर्शन हुआ. भारत ने किसी भी सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना नहीं बनाया, केवल आतंकवादियों के ठिकानों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया. 

भारत ने व्यापक तनाव से बचते हुए अपने जीरो टॉलरेंस सिद्धांत का पालन किया. भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल लोगों सहित कई खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया गया. एक ही रात में कई आतंकी मॉड्यूल के नेतृत्व का सफाया कर दिया गया. भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना ने समन्वित हमले किए, जो भारत की बढ़ती संयुक्त युद्ध क्षमता का सबूत है. इसके साथ ही भारत ने दुनिया को दिखाया कि अपने लोगों की रक्षा के लिए हम अनुमति का इंतजार नहीं करेंगे. आतंक को कभी भी, कहीं भी दंडित किया जाएगा. इस ऑपरेशन ने यह भी दिखाया कि आतंकवादियों और उनके आकाओं के पास छिपने के लिए कोई जगह नहीं है.

इसके साथ ही भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई को लेकर बड़ा फैसला लिया. सरकार ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि भविष्य में कोई भी आतंकी घटना, भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी. सूत्रों की मानें तो भारत ने निर्णय लिया है कि भविष्य में किसी भी आतंकी कार्रवाई को भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और उसी के अंदाज में जवाब भी दिया जाएगा.

मतलब 1971 और अब के सैन्य कार्रवाई में भले ही अंतर हो. लेकिन, पाकिस्तान को यह समझ में आ गया कि उसकी तरफ से छेड़े गए युद्ध का नतीजा विध्वंसकारी हो सकता है. ऐसे में बेहतर होगा कि इस युद्ध को यहीं रोका जाए. 
 

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