India-Pakistan Operation Sindoor: शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’: पहला प्रहार
“आपके घर में कॉकरोच आता है तो आप क्या करते हैं राठौड़ साहब? …आप उसको पालते नहीं, मारते हैं.”
2008 में रिलीज हुई फिल्म ‘ए वेडनेसडे' में नसीरुद्दीन शाह का किरदार जब यह डॉयलॉग बोलता है तो अहिंसा के परम भक्त को भी उसमें तार्किकता नजर आती है. भारत ने भी किसी कॉकरोच को अपना वतन बर्बाद करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान के पैदा किए, पाले और पोसे आतंकियों ने हमपर 22 अप्रैल को पहलगाम में चोट की, 26 मासूम लोगों की एक कायराना आतंकी हमले में हत्या की. भारत ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. बस बहुत हो गया. और फिर शुरू किया ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor).
हम आपके लिए लेकर आए हैं शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर'. 5 एपिसोड की इस सीरिज में हम आपको बताएंगे हमारी तीनों सेनाओं की उस पराक्रम की कहानी जिसने पूरे देश का मस्तक आज गर्व से ऊंचा कर दिया है, पाकिस्तान को पाकिस्तान के अंदर चोट पहुंचाई है. वैसे प्रहार तो आतंकवादियों पर शुरू किया लेकिन जब पाकिस्तान ने हिमाकत दिखाई तो उसकी सेना को अपनी ताकत दिखाई. यह है शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर' का पहला एपिसोड– ‘पहला प्रहार'.
शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर'- पहला प्रहार
पहलगाम के कायराना आतंकी हमले को 2 हफ्ते गुजर चुके थे. भारत सरकार ने साफ कर दिया था आतंकियों, उनके आकाओं और उनको शह देने वाले देश- पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. भारत ने पाकिस्तान को घेरने के लिए तमाम डिप्लोमेटिक फैसले ले लिए थे- सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया गया था, अटारी बॉर्डर बंद कर दिया, भारत स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से कई अधिकारियों को वापस लौटने का फरमान जारी कर दिया था और पाकिस्तानियों का वीजा रद्द करके उनको भारत से निकाल दिया गया था.
अब पूरे देश को इंतजार था कि भारत अब पाकिस्तान के इन आतंकियों पर ऐसा वार करे कि फिर से भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत न हो. 6 और 7 मई की दरमयानी रात ठीक वही हुआ. रात 2 बजे मानों आधा देश खुद ब खुद जाग गया. भारत की सेना ने देश को बताया कि उसने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को अटैक करके धवस्त कर दिया है. भारतीय सेना के आधिकारिक हैंडल एक्स पर हैशटैग #पहलगामटेररअटैक के साथ एक पोस्ट में कहा गया, "न्याय दिया गया. जय हिंद!"
टारगेट पर लिए गए नौ आतंकी ठिकानों में से पांच पीओके में थे (मुजफ्फराबाद और कोटली में दो-दो साइटें और भीमबेर में एक), और चार पाकिस्तान में (सियालकोट में दो, मुरीदके और बहावलपुर में एक-एक). भारत ने 1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान में 100 किमी के अंदर वार किया था. और इस काम में सेना को केवल 25 मिनट लगे थे. रात के 1.05 बजे भारत ने एयरस्ट्राइक शुरू किया और 1.30 बजे भारतीय वायुसेना ने अपनी कार्रवाई खत्म भी कर दी.
पीओके में 5 आतंकी ठिकानों पर अटैक:
- सवाईनाला कैंप, मुजफ्फराबाद: पीओजेके के लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है, यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था.
- सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद, यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है. यह हथियार, विस्फोटर और जरनल सर्वाइविंग ट्रेनिंग का केंद्र भी था.
- गुलपुर कैंप, कोटली: यह एलओसी 30 किलोमीटर दूर था. लश्कर-ए-तैयबा का बेस था, जो रजौरी और पुंछ में सक्रिय था.
- बरमाला कैंप, बिंबर: यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है. यहां पर हथियार हैंडलिंग, आइडी और जंगल सर्वाइवल केंद्र का प्रशिक्षण दिया जाता था.
- अब्बास कैंप, कोटली: यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है. लश्कर-ए-तैयबा का फिदाइन यहां तैयार होता था. इसकी कैपेसिटी 15 आतंकियों को ट्रेन करने की थी.
पाकिस्तान में 4 आतंकी ठिकानों पर अटैक:
- सर्जल कैंप, सियालकोट: यह इंटरनेशनल बॉर्डर से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. मार्च 2025 जम्मू-कश्मीर के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उनके हत्यारे आतंकियों को यहीं पर ट्रेन किया गया था.
- महमूना जाया कैंप, सियालकोट: यह इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 से 18 किलोमीटर से दूर था, हिजबुल-मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था. यह कठुआ में आतंक फैलाने का केंद्र था. पठानकोट एयरबेस हमला भी यहीं से प्लान किया गया था.
- मरकज तैयबा मुरीदके: यह इंटरनेशनल बॉर्डर से 18 से 25 किलोमीटर दूरी पर है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकी भी यहीं से ट्रेनिंग लेकर गए थे. अजमल कसाब और डेविड हेडली भी यहां ट्रेन हुए थे.
- मरकज सुभानअल्लाह, भवलपुर: यह इंटरनेशनल बाउंड्री से 100 किलोमीटर दूर है. यह जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र था.
पाकिस्तान और उसके आतंकियों पर भारत के पहले प्रहार के बाद बारी थी दुनिया को इसकी खबर देने की. ऑपरेशन सिंदूर पर ब्रीफिंग की जिम्मेदारी दो महिला अधिकारियों को मिली- सेना की सिग्नल कोर की कर्नल सोफिया कुरेशी और भारतीय वायुसेना की हेलीकॉप्टर पायलट विंग कमांडर व्योमिका सिंह. उनके साथ मौजूद रहे विदेश सचिव विक्रम मिस्री.
साफ-साफ कहा गया कि आतंकवादी ठिकानों पर हमला सटीक क्षमता से किया गया था. हाई टेक वाले हथियारों को सावधानीपूर्वक चुना गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निशाने पर सिर्फ आतंकी आए, कोई कोलैटरल डैमेज न हो. हर अटैक में टारगेट एक खास बिल्डिंग या उनका का एक समूह था.
दुनिया को उम्मीद थी कि खुद आजतक आतंकवाद खत्म करने में विफल रहा पाकिस्तान शुक्रगुजार होगा या बहुत हुआ तो शुक्रिया न बोलकर शांत बैठेगा. लेकिन पाकिस्तान का इतिहास, उसकी फितरत का इतिहास बताता है कि उससे ऐसा उम्मीद करना खुद को धोखा देना है. पाकिस्तान की मति फिरी और उसने भारत, उसकी आम जनता को निशाना बनाने की कोशिश की. और फिर भारत ने पाकिस्तान पर रहम न खाकर अपनी ताकत दिखाई. तो अगले एपिसोड में यहीं से शुरू होगा शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर' का दूसरा अध्याय- ‘ट्रेलर'. बने रहिए एनडीटीवी इंडिया के साथ.
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