India's Defence Preparedness: दुनिया में धीरे-धीरे युद्ध का माहौल बनता जा रहा है. क्या तीसरे विश्व युद्ध (World War) की आहट मिलने लगी है. रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच पिछले ढाई साल से युद्ध चल रहा है. रूस के समर्थन में चीन और यूक्रेन के समर्थन में पूरा यूरोप और अमेरिका अपना अपना काम कर रहे हैं. उधर, इजरायल पर फिलिस्तीन (Israel Hamas war) से हमास के लड़ाकुओं के हमले के बाद से इजरायल लगातार गाज़ा पर हमला किए हुए हैं. इस बीच लेबनान से हिजबुल्लाह (Israel Hezbollah war) के लड़ाकुओं के हमले के बाद से भी इजरायल ने इस तरफ भी फ्रंट खोल दिया है. इस समय ईरान की ओर से भी इजरायल (Iran Israel Tension) पर मिसाइल हमले के बाद से इन दोनों देशों के बीच तनाव जारी है. कहा जा रहा है कि इजरायल जवाबी कार्रवाई करेगा (Israel to avenge Iran attack) और इसके बाद संभावना जताई जा रही है कि इन दोनों देशों के बीच भी युद्ध आरंभ हो जाए. दोनों देशों की सीमाएं एक दूसरे से नहीं मिलती हैं इसलिए यहां पर युद्ध का प्रारूप कुछ दूसरा ही होगा. लेकिन, अमेरिका की ओर से नौसेना के युद्धक विमान पहुंचे हुए हैं जो किसी भी परिस्थिति में इजरायल का साथ देने के लिए तैयार हैं.
ऐसी स्थिति में भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Civil Unrest in Pakistan) में लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता चली आ रही है और दूसरे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश (Bangladesh Change in ruler) में अशांति बनी हुई. पिछली सरकार को सेना से हटाया और नई सरकार का गठन करवा दिया. पूरे इलाके में अस्थिरता बनी हुई है. ऐसे में भारत को अपनी रक्षा (India increases defence Preparedness) जरूरतों के हिसाब से तैयारी तेज कर दी है.
बुधवार को सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट समिति (सीसीएस Cabinet Committee on Security) ने भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा करने के मकसद से अमेरिका से 31 'प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस' ड्रोन (Predator long endurance Drone) की खरीद और परमाणु ऊर्जा से संचालित दो पनडुब्बियों (nuclear powered submarines) के स्वदेशी निर्माण संबंधी सौदे को मंजूरी दे दी है. मामलों के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने इस प्रकार की जानकारी दी है.
प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन का फायदा
प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन देर तक हवा में रह सकते हैं और ये दोनों काम कर सकते हैं. यानी खूफिया जानकारी इकट्ठा करने का काम और यदि जरूरत हुई तो हमला करने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. यानी भारत ने भविष्य की तैयारी आगे बढ़ा दी है.
रिमोट से कमांड दिया जा सकता है
अधिकारियों के मुताबिक, एमक्यू-9बी 'हंटर किलर' ड्रोन विदेशी सैन्य बिक्री माध्यम के तहत अमेरिकी की जनरल एटॉमिक्स से लगभग 3.1 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से खरीदे जाएंगे. जनरल एटॉमिक्स एम क्यू-9 रीपर एक मानवरहित ड्रोन है जिसे रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है या ऑटोनॉमस उड़ान के लिए भेजा जा सकता है.
पनडुब्बियों की जरूरत
इनके अलावा भारत परमाणु ऊर्जा से संचालित दोनों पनडुब्बियों का निर्माण लगभग 40,000 करोड़ रुपये की लागत से करने जा रहा है. भविष्य में जलमार्ग से भी किसी हमले को रोकने के लिए तैयारी करनी पड़ेगी.
साथ ही किसी मिशन को अंजाम देने के लिए भी जरूरी है कि भारत को पास ऐसी क्षमता हो कि वॉरशिप और पनडुब्बी देर तक पानी में रहकर अपने मिशन को अंजाम दे सकें. इसके लिए जरूरी है कि परमाणु ऊर्जा से चलित पनडुब्बी और वॉरशिप को तैयार किया जाए. इसी दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने फैसला लिया है.