चीन के "मेगा बांध" बनाने की योजना के खिलाफ भारत का ब्रह्मपुत्र पर 6.42 लाख करोड़ का हाइड्रो मास्टरप्लान!

ब्रह्मपुत्र उप-बेसिन तिब्बत (चीन), भूटान, भारत और बांग्लादेश में 580,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है. भारत में इसका अपवाह क्षेत्र 194413 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5.9% है.

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  • केंद्रीय विद्युत् प्राधिकरण ने ₹6,42,944 करोड़ की ट्रांसमिशन योजना बनाई है.
  • मास्टर प्लान का उद्देश्य ब्रह्मपुत्र बेसिन की जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली का ट्रांसफर सुगम बनाना है.
  • ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय की कैलाश पर्वतमाला से निकलती है और भारत, भूटान, बांग्लादेश के क्षेत्र में फैली है.
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केंद्रीय विद्युत् प्राधिकरण (CEA) ने ब्रह्मपुत्र बेसिन से 76.07 गीगावॉट की जलविद्युत क्षमता देशभर में पहुंचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी ₹6,42,944 करोड़ (US$ 72.52 Billion) की एक विस्तृत ट्रांसमिशन योजना तैयार की है. सोमवार को CEA ने देश की महत्वपूर्ण जलविद्युत क्षमता से विद्युत के व्यवस्थित विकास और निकासी को सुगम बनाने के लिए ब्रह्मपुत्र बेसिन में जलविद्युत संयंत्रों (Hydroelectric Plants) से बनने वाली बिजली देशभर में ट्रांसफर करने के लिए एक मास्टर प्लान जारी किया.

क्यों भारत बना रहा

भारत ने ये मास्टरप्लान ऐसे समय पर सार्वजनिक किया है, जब चीन द्वारा त्सांगपो नदी के निचले हिस्से पर एक 'मेगा बांध' बनाने की खबरें जुलाई, 2025 में सामने आई थी  - जो भारत में बहकर ब्रह्मपुत्र बन जाती है. खबरों के मुताबिक इस बांध का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. बीजिंग ने इस परियोजना को अपने कार्बन तटस्थता लक्ष्यों और आर्थिक लक्ष्यों से जोड़ा है, और सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि इससे उत्पादित बिजली पूरे देश में वितरित की जाएगी.

CEA के मास्टरप्लान के मुताबिक इस नए Transmission System (नए और मौजूदा सबस्टेशनों के विस्तार) पर कुल अनुमानित खर्च लगभग 6,42,944 करोड़ रुपये होगा.

असम सरकार ने क्या कहा

असम सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के मुताबिक,"ब्रह्मपुत्र घाटी की औसत चौड़ाई लगभग 80 किलोमीटर है. घाटी की मुख्य नदी, ब्रह्मपुत्र, दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है और औसत प्रवाह दर के मामले में पाँचवें स्थान पर है. यह नदी हिमालय की कैलाश पर्वतमाला से 5300 मीटर की ऊँचाई पर निकलती है. तिब्बत से होकर बहने के बाद, यह अरुणाचल प्रदेश से होते हुए भारत में प्रवेश करती है और असम और बांग्लादेश से होकर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. तिब्बत में ब्रह्मपुत्र का जलग्रहण क्षेत्र 2,93,000 वर्ग किलोमीटर है; भारत और भूटान में 2,40,000 वर्ग किलोमीटर और बांग्लादेश में 47,000 वर्ग किलोमीटर. ब्रह्मपुत्र बेसिन बांग्लादेश में संगम तक 5,80,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है".

भारत सरकार ने क्या कहा

भारत सरकार के मुताबिक - ब्रह्मपुत्र बेसिन में बड़े स्तर पर जलविद्युत पैदा करने की क्षमता को देखते हुए एक नए बिजली ट्रांसमिशन सिस्टम तैयार करने के लिए एक व्यापक योजना की आवश्यकता थी. इसलिए, ब्रह्मपुत्र बेसिन में जलविद्युत परियोजनाओं से बिजली ट्रांसफर करने के लिए इस ट्रांसमिशन सिस्टम का मास्टर प्लान तैयार किया गया है. मास्टरप्लान में 76 गीगावाट जलविद्युत क्षमता के ट्रांसफर के लिए चरणबद्ध तरीके से ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की रूपरेखा पेश की गयी है. इसका उद्देश्य ब्रह्मपुत्र के आसपास के क्षेत्र में नए जलविद्युत परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप भी तैयार करना है. ब्रह्मपुत्र उप-बेसिन तिब्बत (चीन), भूटान, भारत और बांग्लादेश में 580,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है. भारत में इसका अपवाह क्षेत्र 194413 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5.9% है.

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