केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने अपनी ठोस घरेलू जलवायु कार्रवाई से एक उदाहरण स्थापित किया है और ये ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की अपनी राष्ट्रीय योजनाओं को पूरा करने के लिए सही दिशा में चल रहीं कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. यादव ने दूसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट' में पर्यावरण मंत्रियों के सत्र में अपने शुरुआती संबोधन में ग्लोबल वार्मिंग में ऐतिहासिक रूप से ऋणात्मक योगदान के बावजूद, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत की सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला.
‘ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है, ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं.
यादव ने विकसित देशों को जलवायु वित्त के लिए 2020 तक प्रतिवर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने और 2025 तक वित्त में उनके योगदान को 2019 के स्तर से दोगुना करने की उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाई.
इस कार्यक्रम को व्यक्तियों के साथ-साथ सार्वजनिक और निजी संस्थाओं द्वारा स्वैच्छिक पर्यावरण और जलवायु के प्रति जागरूकता फैलाने संबंधी कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य एक स्थायी अर्थव्यवस्था हासिल करने की दिशा में सामूहिक प्रयासों में तेजी लाना है.