विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत यथास्थिति में एकतरफा बदलाव करने के किसी प्रयास को कभी स्वीकार नहीं करेगा तथा स्थापित समझ से परे किसी रुख पर वैसी ही प्रतिक्रिया मिलेगी. जयशंकर की यह प्रतिक्रिया पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा गतिरोध लम्बा खिंचने की पृष्ठभूमि में आई है.
‘मोदी सरकार के आठ वर्ष : विदेशी सम्पर्क में बदलाव' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में विदेशी राजनयिकों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने सुरक्षा चुनौतियों से निपटने को लेकर भारत के सम्पूर्ण रुख का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, ‘‘हम इतिहास की झिझक से बाहर निकल आए हैं और हम किसी को भी अपने विकल्पों को वीटो करने की अनुमति नहीं देंगे.''
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने, वैश्विक हितों के खिलाफ राजनीतिक बाधाओं से पार पाने को लेकर आशान्वित है. जयशंकर की इन टिप्पणियों को चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है.
आतंकवाद का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि कूटनीति ने इस चुनौती से निपटने में काफी योगदान किया है, जो आतंकवाद को समर्थन देने से इंकार के रूप में सामने आया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सीमाओं की सुरक्षा जरूरी है और हम यथास्थिति में एकतरफा तरीके से बदलाव करने के प्रयास को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. एक ऐसा रुख जो स्थापित समझ से परे होगा, उसे वैसी ही प्रतिक्रिया मिलेगी.''
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जहां तक सुरक्षा की बात आती है, हम अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर काम करेंगे.'' उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने विश्वसनीय सहयोगियों की भूमिका को मानते हैं जो हमारे साथ भारत को हर दिन सुरक्षित बनाने में मदद कर रहे हैं.''
जयशंकर ने इस दौरान आत्मनिर्भर भारत का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हम भारत में निर्माण करना चाहते हैं लेकिन हम दुनिया के साथ और दुनिया के लिए भी निर्माण करना चाहते हैं.''
उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति खुली सोच और व्यवहारिकता पर आधारित ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास'' के सूत्र पर आधारित है तथा जटिल मुद्दों के समाधान के लिये इसमें ‘सबका प्रयास' के तत्व भी समाहित हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की कूटनीति अहम आर्थिक मुद्दों एवं ऊर्जा स्रोतों पर प्रभावी क्षेत्रीय ताकतों एवं महत्वपूर्ण शक्तियों पर केंद्रित रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसे खुली सोच और व्यावहारिकता पर आधारित ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के सूत्र पर आगे बढ़ाया है.''
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि वृह्द जटिल मुद्दों के समाधान के लिए इसमें ‘सबका प्रयास' का तत्व भी समाहित है.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कई कदम विकास के लिए कूटनीति के महत्व को प्रदर्शित करते हैं, जहां विदेशी प्रौद्योगिकी, पूंजी, श्रेष्ठ चलन और गठजोड़ प्रत्यक्ष तौर पर हमारी राष्ट्रीय वृद्धि को गति प्रदान करने से जुड़े हैं. ये हमारे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों एवं पहल के जरिए संभव हुए हैं.''
विभिन्न देशों के राजनयिकों की मौजूदगी में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘आप सभी यहां रहते हैं और मुझे विश्वास है कि आपने पिछले आठ वर्षों में भारत में बदलाव की गति को महसूस किया होगा.''
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस संदर्भ में कोविड महामारी को लेकर देश की प्रतिक्रिया, व्यापक टीकाकरण अभियान के अलावा वित्तीय, डिजिटल एवं संवाद के क्षेत्र में बदलाव आदि का उल्लेख किया. साथ ही आवास, विद्युतीकरण, जल कनेक्शन, रसोई गैस तक पहुंच जैसी सरकार की योजनाओं के प्रभाव का भी उल्लेख किया.
उन्होंने हाल में भारत द्वारा अंतिम रूप दिए गए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का भी जिक्र किया और कहा, ‘‘हमारा संदेश दुनिया को सघनता के साथ जोड़ने का है और इसमें स्वाभाविक तौर पर अपने लोगों को फायदा पहुंचाना एवं वैश्विक कल्याण, विकास एवं सुरक्षा में भी योगदान देना है.''
जयशंकर ने कहा कि सम्पर्क बढ़ाने और सहयोग को प्रोत्साहित करने में भारतीय निवेश उल्लेखनीय है, चाहे यह कोविड के दौरान हो या वर्तमान आर्थिक चुनौतियों को लेकर हो. उन्होंने कहा कि भारत ने अपने पड़ोसियों के लिये आगे बढ़कर काम किया है और देश ऐसा करना जारी रखेगा.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने अपने विस्तारित पड़ोस को लेकर जागरूकता का प्रदर्शन किया है और यह हमारे ऐक्ट ईस्ट नीति, समग्र दृष्टिकोण, खाड़ी देशों के साथ सम्पर्क और पश्चिम एशिया पहल से प्रदर्शित होता है.'' जयशंकर ने कहा, ‘‘चाहे नेतृत्व का ध्यान देना हो, कूटनीति हो, व्यावहारिक परियोजनाएं हों या साझी गतिविधियां हो.. हर क्षेत्र में हमारा रिकॉर्ड उच्च प्रतिबद्धता वाला रहा है.''
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