फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन (French Ambassador Emmanuel Lenain) ने कहा है कि भारत को यूरोपीय संघ (European Union) द्वारा घोषित वैश्विक गेटवे योजना (Global Gateway Scheme) के तहत हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में ‘कनेक्टिविटी' बढ़ाने के लिए घोषित 300 अरब यूरो के कोष का एक हिस्सा मिल सकता है. पिछले साल दिसंबर में घोषित, कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर वैश्विक निवेश योजना को चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) के प्रत्युत्तर के तौर पर देखा जा रहा है. लेनैन ने कहा, ‘‘परियोजना के लिए कुल वित्त पोषण 300 अरब यूरो है. मुझे विश्वास है कि हिंद-प्रशांत और भारत को इसका एक हिस्सा मिल सकता है.''
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती हठधर्मिता के बारे में उन्होंने कहा कि फ्रांस ‘टकराव' नहीं चाहता है, लेकिन क्षेत्र के लिए भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक प्रयासों को प्राथमिकता देना चाहेगा.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के अपना प्रभाव बढ़ाने पर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं और भारत उन प्रमुख शक्तियों में से एक है जो इस क्षेत्र में सभी हितधारकों के लिए कानून का शासन और समृद्धि सुनिश्चित करने पर जोर दे रहा है.
हिंद-प्रशांत के समक्ष विभिन्न चुनौतियों पर लेनैन ने यह भी कहा कि ‘चीनी मॉडल का विकल्प' प्रदान करने की आवश्यकता है.
लेनैन ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि हम भारत के पड़ोसी हैं, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के एक ‘रेजीडेंट पावर' हैं. हमारे पास इस क्षेत्र में क्षेत्राधिकार हैं, हमारे पास इस क्षेत्र में लोग हैं, लगभग 20 लाख फ्रांसीसी नागरिक हैं, और हमारे पास सैनिक हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. हमारे पास एक रणनीति है जिसे उसी वर्ष तैयार किया गया था जैसा कि भारत ने 2018 में किया था. हमारे पास वही दृष्टिकोण है कि क्या किया जाना चाहिए.''
राजदूत ने कहा कि फ्रांस चुनौती से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति को प्राथमिकता देता है.
लेनैन ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ ने पिछले साल एक हिंद-प्रशांत रणनीति अपनाई थी। यह विशाल और प्रभावशाली है. जैसा कि हमेशा यूरोपीय संघ के साथ होता है, आप इसे तुरंत नहीं देख सकते हैं, लेकिन आप इसे वर्षों में महसूस करेंगे तथा यह रणनीति व्यापक परिणाम देगी, क्योंकि यह यूरोपीय संघ की सभी शक्तियों और सभी फंड द्वारा समर्थित है.''
उन्होंने कहा, ‘‘इस पैकेज में, ग्लोबल गेटवे नामक एक पहल है जो कनेक्टिविटी परियोजनाओं को निधि देने से संबंधित है.''
विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनकी फ्रांसीसी समकक्ष कैथरीन कोलोना के बीच बातचीत के बाद भारत और फ्रांस ने पिछले महीने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए एक रूपरेखा तय करने पर सहमति व्यक्त की थी.
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