अफगानिस्तान पर भारत की पैनी नजर, काबुल से कर्मचारियों को निकालने को तैयार

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत काबुल से अपने सैकड़ों अधिकारियों और नागरिकों को निकालने की योजना में जुट गया है.

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अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

भारत ने काबुल से अपने सैकड़ों अधिकारियों और नागरिकों को निकालने के लिए आकस्मिक योजनाएं बनायी हैं. दरसअल, तालिबान के रविवार सुबह राजधानी काबुल में प्रवेश करने की खबरों के बाद वहां लोगों में डर पैदा हो गया है. इस बीच, विद्रोहियों द्वारा हमले तेज किये जाने के बाद रविवार को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए हैं. अफगानिस्तान के ''तुलू'' न्यूज की खबर के अनुसार गनी और उनके करीबी साथी लगभग सभी बड़े शहरों और प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान के कब्जे और राजधानी काबुल में उसके प्रवेश के बाद देश छोड़कर चले गए हैं. घटनाक्रम पर नजर रख रहे लोगों ने कहा कि भारत काबुल में भारतीय दूतावास के अपने कर्मचारियों और भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डालेगी तथा जरूरत पड़ने पर आपात स्थिति में उन्हें वहां से निकालने के लिए योजनाएं बना ली गयी हैं.

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अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर भारत की नजर

उन्होंने बताया, ‘‘सरकार अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे घटनाक्रमों पर करीबी नजर रख रही है. हम काबुल में भारतीय दूतावास में अपने कर्मचारियों की जान खतरे में नहीं डालेंगे.'' हालांकि, अफगानिस्तान में तेजी से हो रहे घटनाक्रम पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है. यह पूछे जाने पर कि काबुल से भारतीय कर्मचारियों और नागरिकों को कब निकाला जाएगा, इस पर उन्होंने कहा कि जमीनी हालात को देखते हुए फैसले लिए जाएंगे. समझा जाता है कि भारतीय वायु सेना के सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर के एक बेड़े को लोगों तथा कर्मचारियों को निकालने के लिए तैयार रखा गया है.

डर में बीत रही अफगानवासियों की जिंदगी

काबुल से प्राप्त खबरों के अनुसार, तालिबान के लड़ाकों ने शहर के बाहरी इलाकों में प्रवेश कर लिया है जिससे निवासियों में डर और घबराहट पैदा हो गयी है. पिछले कुछ दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है. उसने कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहरों समेत 34 में से 25 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा जमा लिया है. अफगान मीडिया ने कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मदी के हवाले से कहा कि राष्ट्रपति गनी ने देश में ''संकट'' को हल करने का अधिकार राजनीतिक नेताओं को सौंप दिया है. मोहम्मदी ने कहा कि देश के हालात पर बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दोहा का दौरा करेगा.

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अशरफ गनी की आलोचना

अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुलह परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला, देश छोड़ने के लिए गनी की आलोचना करते हुए दिखाई दिए और कहा, ''अल्लाह उनसे जवाब लेगा और राष्ट्र उन्हें न्याय के कठघरे में लाएगा.'' अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने ट्विटर पर कहा कि राष्ट्रपति गनी के जाने के बाद सत्ता हस्तांतरण के लिए एक समन्वय परिषद का गठन किया गया है, जिसमें वह, अब्दुल्ला अब्दुल्ला और गुलबुद्दीन हिकमतयार शामिल हैं. इससे पहले, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन ने ट्विटर पर कहा कि काबुल में हालात नियंत्रण में हैं और उस पर हमला नहीं किया गया है. हालांकि छिटपुट गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं. उसने बताया कि अफगान सुरक्षा बल अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं ताकि काबुल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकें. पश्तो भाषा में एक बयान में कहा गया है, ‘‘काबुल पर हमला नहीं किया गया है. देश के सुरक्षा और रक्षा बल शहर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं तथा हालात नियंत्रण में हैं.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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