देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर में अगर ऑब्सटैकल अवॉयडेंस सिस्टम लगा होता तो शायद वह हमारे बीच होते. उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होता.अब देश में हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड ने जर्मनी की रक्षा निर्माता कंपनी हेंसोल्ट सेंसर्स के एक साथ इसी प्रणाली के निर्माण पर एक करार किया है .
दुबई एयर शो में एचएएल और जर्मनी की इस कंपनी ने हेलीकॉप्टरों के लिए Obstacle Avoidance System (OAS) और Degraded Visual Environment (DVE) तकनीक के विकास, निर्माण और रखरखाव के लिए रणनीतिक साझेदारी की है. यह प्रणाली बादल, धुंध, कोहरा, बर्फीले तूफ़ान, रेत के तूफ़ान और रात में उड़ान के दौरान हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा में बड़ा सुधार करेगी.
कैसे काम करती है यह प्रणाली?
भारत में हेलीकॉप्टर ऑपरेशन अक्सर कठिन और जोखिम भरे इलाकों जैसे हिमालय, पूर्वोत्तर, रेगिस्तान, शहरी क्षेत्रों और तटीय इलाकों में किए जाते हैं, जहां मौसम अचानक बदल जाता है और दृश्यता बेहद कम हो जाती है. यह प्रणाली स्मार्ट अलर्ट के माध्यम से पायलट का काम काफी आसान कर देती है. सेंसर और डेटाबेस से प्राप्त डेटा को सॉफ्टवेयर तुरंत प्रोसेस कर दृश्य रूप में दिखाता है, जिससे पायलट को संभावित अवरोधों की समय रहते साफ-साफ जानकारी मिल जाती है. इससे 1 किमी दूर से ही पतले तारों, केबलों, खंभों, टावरों और अन्य अवरोधों की पहचान हो जाती है.
समझौते के खास बिंदु
जर्मनी की यह कंपनी HAL को पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण, डिज़ाइन, IPR अधिकार, मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस क्षमता प्रदान करेगी. इस प्रणाली का निर्माण HAL के कोरवा प्लांट में होगा और इसे ALH ध्रुव, LCH प्रचंड सहित सैन्य हेलीकॉप्टरों में लगाया जाएगा.
भारत को रणनीतिक फायदा
HAL को इस तकनीक के वैश्विक निर्यात अधिकार मिलेंगे, जिससे भारतीय हेलीकॉप्टर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे. यह भारत और जर्मनी के बीच लगभग तीन दशकों में सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी रक्षा साझेदारियों में से एक मानी जा रही है और ‘आत्मनिर्भर भारत' के तहत एयरोस्पेस सेक्टर को नई दिशा देगी.
भारत-जर्मनी उच्च रक्षा समिति की बैठक
इस रणनीतिक समझौते से ठीक एक दिन पहले दिल्ली में भारत-जर्मनी उच्च रक्षा समिति की बैठक हुई थी. दोनों देशों ने सॉफ्टवेयर परिभाषित और अगली पीढ़ी की रक्षा तकनीकों के सह-विकास पर सहमति जताई थी.














