India AI Guidelines 2025: हाई-रिस्क एआई सिस्टम पर सरकार सख्त, प्राइवेसी के लिए जारी हुई नई गाइडलाइन्स

'इंडिया एआई गवर्नेंस गाइडलाइन्स' के तहत डीपफेक, साइबर हमलों और डेटा चोरी को रोकने के लिए आईआईटी (IIT) जैसे संस्थानों में विशेष टूल्स विकसित किए जा रहे हैं.

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High-Risk AI पर भारत सरकार का बड़ा फैसला: बिना पाबंदी नहीं होगा इस्तेमाल, डीपफेक और डेटा सुरक्षा के लिए बने सख्त नियम

Delhi News: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती ताकत के बीच भारत सरकार (Indian Govt) ने स्पष्ट कर दिया है कि नागरिकों की सुरक्षा और प्राइवेसी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) ने शनिवार को कहा कि भारत 'हाई-रिस्क' AI सिस्टम की अनियंत्रित तैनाती की अनुमति नहीं देगा. इसके बजाय, सरकार ने एक जोखिम-आधारित और साक्ष्य-आधारित गवर्नेंस मॉडल अपनाया है.

क्यों जरूरी है AI पर लगाम?

सरकार ने स्वीकार किया है कि जहां AI आर्थिक विकास और सामाजिक बदलाव का एक बड़ा जरिया है, वहीं यह समाज के लिए गंभीर खतरे भी पैदा कर सकता है. मंत्री जितिन प्रसाद के अनुसार, AI के गलत इस्तेमाल से पूर्वाग्रह और भेदभाव (Bias & Discrimination) बढ़ सकता है. अनुचित परिणाम सामने आ सकते हैं. पारदर्शिता की कमी और डेटा चोरी का खतरा भी रहता है.

तकनीक का लोकतंत्रीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार तकनीक के विकास और उपयोग को लोकतांत्रिक बना रही है. सरकार का मुख्य फोकस वास्तविक दुनिया की समस्याओं को सुलझाने के लिए AI का उपयोग करना है. भारत की AI रणनीति केवल कागजी कानूनों तक सीमित नहीं है. सरकार कानून के साथ-साथ तकनीकी समाधानों पर भी जोर दे रही है. इसके तहत सरकार IIT जैसे प्रमुख संस्थानों में अनुसंधान परियोजनाओं को वित्तपोषित कर रही है. विशेष रूप से डीपफेक, प्राइवेसी प्रोटेक्शन और साइबर सुरक्षा के लिए टूल्स विकसित किए जा रहे हैं.

'इंडिया AI गवर्नेंस गाइडलाइन्स' की मुख्य बातें

5 नवंबर, 2025 को जारी की गई ये गाइडलाइन्स देश में सुरक्षित और जिम्मेदार एआई के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करती हैं. ये गाइडलाइन्स सिद्धांत-आधारित हैं, यानी ये इनोवेशन (नवाचार) को नहीं रोकेंगी, लेकिन सुरक्षा मानकों से समझौता भी नहीं करेंगी. निगरानी के लिए कोई नया जटिल तंत्र बनाने के बजाय, सरकार IT एक्ट और डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) जैसे मौजूदा कानूनों पर ही भरोसा करेगी. अलग-अलग क्षेत्रों (जैसे बैंकिंग, हेल्थ) के नियामक अपने दायरे में AI के इस्तेमाल की निगरानी करेंगे. भारत का मानना है कि प्रभावी AI गवर्नेंस तभी सफल होगी जब उसे तकनीकी हस्तक्षेप का समर्थन मिले.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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