चाबहार में भारत-अफगानिस्तान कितने दूर-कितने पास, क्या अलग-थलग हो जाएगा पाकिस्तान

अफगानिस्तान में तालिबान ने 2021 में वापसी की थी. इसके बाद से तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव देखा गया है. भारत इसका फायदा उठाने की कोशिश करता हुआ दिख रहा है. उसकी कोशिश अफगानिस्तान की ईरान के चाबहार परियोजना में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने की है.

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नई दिल्ली:

पाकिस्तान से बिगड़ते संबंधों और भारत-पाकिस्तान संबंधों आए तनाव के बीच तालिबान ने भारत से दोस्ती को महत्व देना शुरू किया है. अफगानिस्तान में सरकार चला रहे तालिबान ने व्यापार के लिए पाकिस्तानी बंदरगाहों पर निर्भरता कम करने की ओर से कदम उठाए हैं. तालिबान ने अब ईरान के चाबहार बंदरगाह को प्राथमिकता देने का फैसला किया है. चाबहार बंदरगाह का प्रबंधन भारत करता है. इसके साथ ही तालिबान भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) में शामिल होने की भी संभावना तलाश कर रहा है.

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी

तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता में 2021 में वापसी की थी. इसके बाद चाबहार प्रोजेक्ट को चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन जैसे-जैसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मतभेद बढ़े तालिबान ने भारत और ईरान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया. चाबहार से अफगानिस्तान की निकटता विदेश नीति में विविधता लाने और पाकिस्तान पर निर्भरता घटाने के प्रयास का संकेत देती है. चाबहार बंदरगाह ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है.ऐसी खबरें भी हैं कि चाबहार परियोजना में अपनी भूमिका तलाशने के लिए  तालिबान के अधिकारी ईरान की यात्रा पर भी गए थे.जानकारों का कहना है कि तालिबान दरअसल अब पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है. उसकी कोशिश यह दिखाने की है कि वह अब पाकिस्तान पर निर्भर नहीं है. इसलिए वह चाबहार प्रोजेक्ट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. 

विदेश मंत्री जयशंकर ने बीते हफ्ते अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की थी.

वहीं ईरान चाहता है कि तालिबान आईएनएसटीसी से जुड़े, जिससे की उसका क्षेत्रीय महत्व बढ़े. रविवार को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और ईरान के बीच हुई बातचीत में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था. इससे पहले पिछले हफ्ते विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से टेलीफोन पर बात की थी. यह भारत और तालिबान के मंत्रियों के बीच 1999 के बाद पहली बातचीत थी. यह क्षेत्रीय राजनीति में बदलाव का बड़ा संकेत था.

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भारत और तालिबान के संबंध

जयशंकर की बातचीत से पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस साल आठ जनवरी को दुबई में मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी. वहीं पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी धमाके के बाद विदेश मंत्रालय की एक टीम ने अफगानिस्तान की यात्रा की थी. इससे पहले विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान और ईरान से जुड़े मामले देखने वाले जेपी सिंह ने भी काबुल जाकर तालिबान के नेताओं से मुलाकात की थी.इसके बाद भारत ने अपना मिशन काबुल में स्थापित किया था. 

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चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिण में ओमान की खाड़ी के उत्तरी तट पर स्थित है एक बंदरगाह है.यह दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और मध्य पूर्व के लिए एक प्रमुख बंदरगाह है. चाबहार बंदरगाह अरब सागर और उससे आगे तक सीधी पहुंच देता है. इससे एशिया, यूरोप और अफ्रीका के प्रमुख बाजारों तक पहुंच आसान होती है.चाबहार बंदरगाह को लैंडलॉक्ड कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान  और अफगानिस्तान के लिए हिंद महासागर तक पहुंच बनाने का गोल्डन गेट माना जाता है.

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बीजिंग में मिलते अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्री (दाएं से बाएं).

अफगानिस्तान को चाबहार और आईएनएसटीसी से जोड़ने की भारत और ईरान की कोशिशों के बीच अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी चीन की यात्रा पर हैं. वहां उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसाक डार बुधवार को मुलाकात की. अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने अफगानिस्तान-चीन-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के छठे दौर की बातचीत को लेकर चर्चा की.प्रवक्ता के मुताबिक मुत्ताकी और वांग यी ने अलग से द्विपक्षीय और आर्थिक सहयोग पर चर्चा की.  

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कितना महत्वपूर्ण है चाबहार और आईएनएसटीसी प्रोजेक्ट

चाबहार भारत की महत्वाकांक्षी इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. इस कॉरिडोर के जरिए भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मीनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7200 किलोमीटर लंबा नेटवर्क तैयार करना चाहता है. इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का जवाब माना जा रहा है. चीन बीआरआई के तहत चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिट कॉरिडोर बना रहा है, यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है.  

ईरान का चाबहार बंदरगाह.

भारत ने पिछले साल मई में चाबहार के शाहिद बेहेश्टी बंदरगाह के विकास के लिए समझौता किया था.यह समझौता अगले 10 साल के लिए किया गया था.सरकार ने संसद में बताया था कि वित्त वर्ष 2016-17 से 2023-24 तक कुल 400 करोड़ रुपये की राशि इस परियोजना के लिए आवंटित की गई. चाबहार के शहीद बेहेश्टी बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने अब तक 201.51 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस बंदरगाह पर 2023-2024 में जहाज यातायात में 43 फीसदी और कंटेनर यातायात में 34 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी.

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