- प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जीएसटी पर दिवाली गिफ्ट का ऐलान किया.
- इसके तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने जीएसटी के 4 स्लैब को घटाकर 2 करने का संकेत दिया.
- अगर जीएसटी काउंसिल में प्रस्ताव परवान चढ़ता है तो आम आदमी के लिए बड़ी राहत होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जीएसटी पर दिवाली गिफ्ट का ऐलान किया. इसके तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने जीएसटी के 4 स्लैब को घटाकर 2 करने का संकेत दिया. अगर जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में यह प्रस्ताव परवान चढ़ता है तो आम आदमी के लिए बड़ी राहत होगी. घरेलू इस्तेमाल की चीजें और घी-बिस्किट जैसे खान-पान के सामान पर जीएसटी घटता है तो महंगाई में कमी आ सकती है. बीमा-चिकित्सा उपकरणों जैसी जरूरी सेवाओं पर टैक्स घटने से भी आम आदमी का बोझ कम होगा. बीमा, ट्रांसपोर्ट और एमएसएमई सेक्टर लंबे समय से जीएसटी का बोझ घटाने की मांग कर रहे हैं. उद्योग जगत का कहना है कि जीएसटी घटने से निवेश-रोजगार बढ़ेगा और सस्ती सेवाएं आम जनता को मुहैया कराई जा सकेंगी.
बीमा सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी
इलाज के बढ़ते खर्च और मध्यम वर्ग में स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच बीमा सेवाओं की भूमिका बढ़ गई है. जीएसटी के आठ सालों से बीमा सेक्टर पर 18 फीसदी टैक्स है. सामाजिक सुरक्षा सेवाओं पर इतना ज्यादा टैक्स बोझ होना एक बड़ी वजह है कि सिर्फ 12 फीसदी भारतीयों के पास ही बीमा है. बीमा क्षेत्र पर जीएसटी को 5 फीसदी या शून्य करने की मांग हो रही है. जीएसटी काउंसिल इस पर सकारात्मक संकेत दे भी चुकी है. अगर ऐसा होता है तो हेल्थ इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस तक सारे बीमा के प्रीमियम सस्ते हो जाएंगे.
ट्रांसपोर्ट सेक्टर की मांग
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी में राहत की मांग कर रहा है. इसको लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात भी कर चुका है. AIMTC का कहना है कि ट्रक-बस जैसे भारी वाहनों की चेसिस, स्पेयर पार्ट्स, टायर और ल्यूबिक्रेंट पर जीएसटी 28 से घटाकर 18 फीसदी किया जाए. थर्ड पार्टी प्रीमियम और प्रदूषण के लिए इस्तेमाल एडिटिव्स भी राहत दी जाए. पुराने टायरों और वाहनों के अन्य पार्ट्स को रीट्रीटमेंट करने वाले भी जीएसटी घटाने की मांग कर रहे हैं.
अस्पतालों में इलाज का खर्च
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी 18 फीसदी है, जिसे घटाकर कम से कम 12 फीसदी करना चाहिए. थर्मामीटर से लेकर तमाम चिकित्सा उपकरणों पर 18 फीसदी टैक्स का बोझ है. अस्पताल के बेड और सर्जरी में इस्तेमाल उपकरणों पर भी ज्यादा जीएसटी है, जो मरीजों के इलाज के खर्च को बढ़ा देता है. आम आदमी अपनी कमाई का 10 फीसदी तक इलाज पर खर्च कर रहा है. ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि चिकित्सा सेवाओं को सस्ता किया जा सके.
कपड़ा उद्योग को राहत की दरकार
कपड़ा उद्योग लंबे समय से वस्त्र परिधानों पर एक समान 5 फीसदी जीएसटी की मांग कर रहा है. अभी 1000 रुपये तक कीमत के परिधानों पर 5 और उससे ऊपर कीमत के वस्त्रों पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है. अमेरिका द्वारा भारत के टेक्सटाइल उद्योग पर टैरिफ लगाए जाने के बाद कपड़ा उद्योग के लिए वैसे ही ये चुनौती भरा समय है. ऐसे में अगर जीएसटी घटता है तो बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच इंडस्ट्री को मैदान में बने रहने और ग्राहकों को सस्ते उत्पाद देने में आसानी होगी.
घी से बिस्किट तक जीएसटी में राहत की मांग
खान-पान की वस्तुओं पर भी जीएसटी घटाने की मांग हो रही है. देसी घी पर 12 फीसदी की जगह 5 फीसदी जीएसटी की मांग है. बिस्किट पर भी जीएसटी 12 पर्सेंट या 5 फीसदी करने की मांग है. दूध और फ्रोजन सब्जियों पर भी 12 फीसदी टैक्स है.
किसानों को भी राहत की आस
ट्रैक्टर और अन्य एग्रीकल्चर मशीनों से जुड़े कृषि उपकरणों पर भी 12 फीसदी टैक्स है. इसे टैक्स घटाकर शून्य करने की मांग होती रही है. अगर ऐसा होता है तो ये किसानों के लिए बड़ी राहत की बात होगी.
एमएमएमई सेक्टर की मांग
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों की भी मांग है कि भारी मशीनों और उपकरणों पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी किया जाए, ताकि उनकी लागत कम हो सके और वो सस्ते उत्पाद पेश कर सकें.
पढ़ाई के सामान पर 12 फीसदी टैक्स
पढ़ाई के कई सामान जैसे ज्योमेट्री बॉक्स, एक्सरसाइज बुक्स, मैप और ग्लोब पर भी टैक्स घटाने की मांग होती रही है.