महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ के एनेक्सी इमारत के लोकार्पण समारोह को देश के भावी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी संबोधित किया. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने समारोह में कुछ अजीब मुकदमों का जिक्र करते हुए कहा कि सांगोला तालुका में एक लंबित मुकदमे का आरोपी 1958 से फरार है और अब तक उसका कोई पता नहीं चल पाया. अब तो भगवान ही जाने कि वह अब है भी या नहीं. इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मराठी में बोले. उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ की बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस राज्य में आरोपी ही नहीं कई बार तो शिकायतकर्ता भी लापता हो जाते हैं. लोग समझ गए कि ठाकरे का इशारा IPS अफसर परमबीर सिंह की तरफ है.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि ''यहां तो शिकायत दर्ज कराने के बाद शिकायतकर्ता लापता हो जाता है. ऐसी स्थिति में वाकई ध्यान देने की जरूरत है. अब वो शिकायत दर्ज हुई है तो जांच भी होगी ही, जांच हो भी रही है, लेकिन कोई सीमा या हद तो होनी ही चाहिए. न्याय करना किसी एक आदमी का काम नहीं है, ये तो सामूहिक काम है. कई लोग इस न्यायिक प्रक्रिया टीम का हिस्सा होते हैं.''
ठाकरे ने कहा कि उनको कभी ऐसे समारोह में बोलने का मौका नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि ''मुझे जजों के सामने बोलते समय बहुत चुनौतीपूर्ण लग रहा है. लेकिन वो ज्यादा महत्वपूर्ण समय रहा होगा जब लोकमान्य तिलक ने जूरी के सामने अपनी बात रखी थी. लोकतंत्र जिम्मेदारी वाली छत है जिसमें जिम्मेदारी के खंभों के रूप में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया के कंधे हैं. न्यायपालिका पर दबाव का मतलब लोकतंत्र पर दबाव है. कोई एक खंभा भी कमजोर होगा तो लोकतंत्र की छत कमजोर होगी. फिर कोई खंभा भी नहीं होगा और छत गिरने के बाद खंभे का कोई अर्थ भी नहीं होगा.''
ठाकरे ने कहा कि ''अपराध रोकने के उपाय तेज करने जरूरी हैं. लेकिन मेरी निगाह में अपराध खत्म हो जाएं. अदालतें भी खाली होनी चाहिए, कोई विवाद न हो.''