जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के गारोल इलाके में बुधवार सुबह आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और पुलिस उपाधीक्षक हुमायूं भट गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इलाज के दौरान इन अधिकारियों की मृत्यु हो गई. इस घटना ने देश से तीन जांबाज सपूतों को छीन लिया. वहीं 4 बच्चों ने अपने पिता को खो दिया.
जब मेजर आशीष धोनैक ने डेढ़ महीने पहले कश्मीर में अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने के लिए अपनी दो साल की बेटी सहित अपने परिवार से विदा लिया था तो कहा था कि वो अक्टूबर में हरियाणा के पानीपत फिर वापस आएंगे. लेकिन हफ्तों बाद, उनका शव अनंतनाग के कोकोरेनाग इलाके में बरामद की गई.
कर्नल मनप्रीत सिंह के 2 बच्चे हैं
19 राष्ट्रीय राइफल्स (19 आरआर) के कमांडिंग ऑफिसर और प्रतिष्ठित सेना मेडल प्राप्तकर्ता 41 वर्षीय कर्नल मनप्रीत सिंह ने चंडीगढ़ में रहने वाले अपने परिवार से कुछ ही घंटे पहले बात की थी. कर्नल मनप्रीत सिंह के 2 बच्चे हैं बेटा 6 साल का है और बेटी 2 साल की है.
एक महीने पहले ही पिता बने थे हुमायूं भट
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक गुलाम हसन भट के बेटे हुमायूं भट एक महीने पहले ही पिता बने थे. कोकोरेनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मरने वाले वह तीसरे अधिकारी थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ केवल पांच वर्षों की सेवा में, हिमायूं भट ने बेहद कठिन कार्यों को संभाला, जिसमें स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप में उनका कार्यकाल भी शामिल था, जो विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों से संबंधित है.
34 वर्षीय मेजर आशीष धोनैक के परिवार में उनकी पत्नी और दो साल की बेटी है, जो हरियाणा के पानीपत में रहते हैं. मेजर धोनैक के चाचा ने बताया, "आखिरी बार उनसे टेलीफोन पर बात हुई थी. वह डेढ़ महीने पहले घर आए थे. वह घर बदलने के लिए अक्टूबर में फिर वापस आने वाले थे, लेकिन अब...."
अपने दल का नेतृत्व कर रहे थे कर्नल मनप्रीत सिंह
अधिकारियों ने बताया कि गारोल इलाके में आतंकियों के खिलाफ अभियान मंगलवार शाम को शुरू हुआ था, लेकिन रात में इसे रोक दिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि एक ठिकानों पर आतंकवादियों को देखे जाने की सूचना के बाद आज सुबह फिर उनकी (आतंकवादियों) की तलाश शुरू की गई.अपने दल का नेतृत्व करते हुए कर्नल सिंह ने आतंकवादियों पर हमला बोला. हालांकि, आतंकवादियों की गोलीबारी में वह गंभीर रूप से घायल हो गए.12वीं सिख लाइट इन्फेंट्री (एलआई) से संबद्ध कर्नल सिंह को सेना पदक से भी सम्मानित किया गया था. धोनैक 15वीं सिख एलआई से थे.
यह हमला ऐसे समय हुआ जब एक दिन पहले ही जम्मू क्षेत्र के राजौरी में पीर पंजाल के दक्षिण में एक मुठभेड़ में सेना का एक जवान शहीद हो गया था जबकि सेना की छह वर्षीय मादा लैब्राडोर भी अपने ‘हैंडलर' को बचाने के दौरान जान गंवा बैठी थी.
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