विकास को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग और महंगाई चिंता का विषय: IMF की गीता गोपीनाथ

गीता गोपीनाथ ने भारत के लिए कहा कि आत्मविश्वास ऊंचा रखें, महंगाई महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में मुख्य महंगाई अधिक है और इस पर गौर करने की जरूरत है.

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गीता गोपीनाथ ने भारत के लिए कहा कि आत्मविश्वास ऊंचा रखें. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2021 के लिए भारत के विकास (India's Growth) अनुमान को बिना बदले 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने कहा कि विकास को बनाए रखने के लिए देश को टीकाकरण दर को बनाए रखना होगा. उन्होंने कहा कि पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट आर्थिक सुधार को गति देगा. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से महंगाई और बेरोजगारी पर नजर रखने को कहा. गोपीनाथ ने एनडीटीवी को बताया, "विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों ने कोरोनोवायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद सुधार दिखाया है, लेकिन फोकस का क्षेत्र पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होगा, क्योंकि यहीं से विकास के रास्ते खुलेंगे."

उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र, तेल की ऊंची कीमतें और मुद्रास्फीति या महंगाई कुछ प्रमुख कारक हैं जिन पर भारत को नजर रखनी होगी. “दूसरी बात, भारत को महामारी का मुकाबला करने के लिए टीकाकरण करना होगा. आत्मविश्वास ऊंचा रखें, महंगाई महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में मुख्य महंगाई अधिक है और इस पर गौर करने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों के हालत अब ठीक हो गए हैं. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम हैं जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और “इस तथ्य को देखते हुए कि बहुत से लोग वापस काम पर नहीं लौट पाए हैं , रोजगार की समस्या है.”

आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि लोग अभी भी ग्रामीण रोजगार बीमा धन का उपयोग जीवित रहने के लिए कर रहे हैं और यह विकास का वास्तविक संकेतक है.

उन्होंने सुझाव दिया, "ये अनिश्चित समय हैं, वित्तीय क्षेत्र का जोखिम और संक्रमण का जोखिम हमेशा बना रहता है, इसलिए ऐसे संकेतकों पर ध्यान देना होगा."

उन्होंने घरों और स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए निकट शर्तों में अधिक से अधिक वित्तीय सहायता और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखते हुए उधार की लागत में कटौती की वकालत की.

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उन्होंने कहा कि टीकाकरण की उच्च दर ने भारत के विकास को अच्छी स्थिति में रखा है और इस तथ्य से मदद मिली है कि आबादी के एक बड़े हिस्से को कम से कम टीके की एक खुराक मिल चुकी है.

गोपीनाथ ने इस तथ्य पर जोर दिया कि लगभग 75 प्रतिशत देश इस वर्ष के अंत तक अपनी 40 प्रतिशत आबादी को टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे, विशेष रूप से अफ्रीका में. भारत ऐसे देशों को वैक्सीन निर्यात करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है.

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