आज मैंने देशभक्ति से ओतप्रोत भारत के भविष्य को देखा... IIT खड़गपुर में कार्यक्रम के बाद बोले गौतम अदाणी

गौतम अदाणी ने कहा कि IIT KGP की प्लेटिनम जुबली के इस ऐतिहासिक अवसर पर, यह देखना प्रेरणादायक था कि कैसे हमारे युवा नवप्रवर्तक आत्मनिर्भर भारत के पथप्रदर्शक हैं. उनके जुनून और प्रतिभा के साथ, हमारे देश की विकास गाथा की कोई सीमा नहीं है.

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  • गौतम अदाणी ने आईआईटी खड़गपुर के 75वें स्थापना दिवस पर कहा कि युद्ध अब टेक्नोलॉजी पर आधारित हो गए हैं.
  • अदाणी ने बताया कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए सेमीकंडक्टर का 90% आयात पर निर्भर होना खतरा पैदा करता है.
  • उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को अत्याधुनिक शोध और देशभक्त युवाओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
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खड़गपुर:

अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने सोमवार को आईआईटी खड़गपुर के 75वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि चूंकि दुनिया पारंपरिक युद्धों से प्रौद्योगिकी-संचालित युद्धों की ओर बढ़ रही है, ऐसे में भारत की तैयारियों की क्षमता ही देश का भविष्य तय करेगी. गौतम अदाणी ने साथ ही कहा कि 21वीं सदी में कोई राष्ट्र भले ही राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो, फिर भी वह विभिन्न क्षेत्रों में दूसरों पर निर्भर होने की वजह से बंधा हुआ ही होगा.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस कार्यक्रम का जिक्र करते हुए गौतम अदाणी ने एक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, "आईआईटी खड़गपुर में आज, मैंने भारत के भविष्य को देखा - आत्मविश्वास, साहस और देशभक्ति से ओतप्रोत. खचाखच भरे हॉल में अदम्य ऊर्जा और लगातार लगाए जा रहे जयकारे हमेशा मेरे साथ रहेंगे. IIT KGP की प्लेटिनम जुबली के इस ऐतिहासिक अवसर पर, यह देखना प्रेरणादायक था कि कैसे हमारे युवा नवप्रवर्तक आत्मनिर्भर भारत के पथप्रदर्शक हैं. उनके जुनून और प्रतिभा के साथ, हमारे देश की विकास गाथा की कोई सीमा नहीं है."

इससे पहले उन्होंने कार्यक्रम में कहा, "आज के समय में जो युद्ध लड़े जा रहे हैं, वे पारंपरिक रूप से दिखाई नहीं देते. अब युद्ध मैदानों में नहीं, बल्कि (कंप्यूटर) सर्वर में लड़े जाते हैं. बंदूकों की जगह एल्गोरिदम (गणनात्मक सूत्र) हथियार बन गए हैं. अब साम्राज्य जमीन पर नहीं, बल्कि डाटा सेंटर में बसाए जा रहे हैं. सेनाएं अब सैनिकों की नहीं, बल्कि बॉटनेट्स (कृत्रिम नेटवर्क) की होती हैं."

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित गौतम अदाणी ने कहा कि भारत के 90 प्रतिशत सेमीकंडक्टर आयातित हैं और एक भी व्यवधान या प्रतिबंध देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को ठप कर सकता है. उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे दुनिया पारंपरिक युद्धों से प्रौद्योगिकी-संचालित शक्ति-युद्धों की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे भारत की तैयारियों की क्षमता ही हमारा भविष्य तय करेगी."

अदाणी ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी निर्भरता बहुत अधिक है- हम तेल की अपनी 85 प्रतिशत आवश्यकता आयात से पूरी करते हैं. किसी एक भू-राजनीतिक घटना से भी हमारा विकास रुक सकता है. उन्होंने कहा कि यदि भारत का डाटा विदेशी कंपनियों या देशों के पास जाता है, तो वे उसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं और इससे न सिर्फ उनकी आर्थिक ताकत बढ़ती है, बल्कि वे भारत पर तकनीकी और रणनीतिक रूप से प्रभाव भी जमा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि और सैन्य निर्भरता के मामले में, हमारी कई महत्वपूर्ण प्रणालियां आयातित हैं, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को अन्य देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति और आपूर्ति शृंखलाओं से बांध देती हैं.

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संस्थान के परिसर में एक पूर्व जेल के अस्तित्व का उल्लेख करते हुए अदाणी ने कहा, "अस्सी साल पहले, यहां हिजली जेल थी, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाता था. इस जेल में पुरुषों और महिलाओं ने हमारी भूमि पर शासन करने के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी थी. वही लड़ाई आज भी जारी है, बस हथियार बदल गए हैं." उन्होंने आईआईटी, खड़गपुर के छात्रों को स्वतंत्रता सेनानियों की अगली पीढ़ी करार दिया.

उन्होंने कहा, "लेकिन मैं आपको बता सकता हूं, युद्ध का मैदान केवल हमारे देश की सीमाओं की रक्षा के बारे में नहीं है. यह हमारे तकनीकी नेतृत्व को सुरक्षित करने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हम वैश्विक नवोन्मेष में सबसे आगे रह सकें." उन्होंने कहा कि रोबोटिक्स और एआई की दुनिया में, लागत लाभ रातोंरात गायब हो जाएंगे और प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता जल्दी ही खत्म हो सकती है.

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अदाणी ने आने वाले दिनों में प्रौद्योगिकी के विकास की भविष्यवाणी करते हुए कहा, "एआई ही एआई का निर्माण शुरू करेगा, रोबोट ही रोबोट का निर्माण शुरू करेंगे, कोड ही कोड लिखना शुरू करेगा, मशीनें ही मशीनों को सिखाना शुरू करेंगी और खोजें ही नयी खोजों को बढ़ावा देंगी और यही कारण है कि मैं इसे हमारा दूसरा स्वतंत्रता संग्राम कहता हूं."

उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को भी बदलना होगा और उन्हें बदलाव की गति से आगे बढ़ना होगा, अत्याधुनिक शोध को आगे बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि अब बात सिर्फ़ प्रतिभाशाली स्नातक तैयार करने की नहीं है, बल्कि ऐसे प्रतिभाशाली देशभक्त तैयार करने की है जो विचारों, अनुशासन और भारत निर्माण की इच्छाशक्ति से लैस होकर स्नातक हों. हालांकि यह हमारे शीर्ष संस्थानों की विरासत को त्यागने का आह्वान नहीं है, लेकिन यह वास्तव में बहुत देर होने से पहले एक अलग भविष्य की रूपरेखा तैयार करने का आह्वान है.

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