'कश्मीर समाधान' संबंधी याचिका के लिए IIT स्नातक पर कोर्ट ने लगाया 50,000 का जुर्माना

 न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वह आईआईटी-बंबई से स्नातक प्रभाकर वेंकटेश देशपांडे की ओर से दायर याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है. याचिकाकर्ता ने रेखांकित किया कि समस्या का सैन्य समाधान नहीं हो सकता है.

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प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर विवाद के समाधान के लिए मनमोहन-मुशर्रफ के चार सूत्री फॉर्मूले को लागू करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता पर शुक्रवार को 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वह आईआईटी-बंबई से स्नातक प्रभाकर वेंकटेश देशपांडे की ओर से दायर याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है. याचिकाकर्ता ने रेखांकित किया कि समस्या का सैन्य समाधान नहीं हो सकता है.

देशपांडे ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा तैयार किए गए तथाकथित चार सूची फॉर्मूले के अमल का समर्थन किया, जिसमें स्वायत्तता, संयुक्त नियंत्रण, विसैन्यीकरण और बगैर बाड़ वाली सीमा की समस्या का हल शामिल है. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इन मसलों पर आगे बातचीत की जा सकती है.

इस पर पीठ ने कहा कि अदालत नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है और यह याचिका ‘‘प्रचार हित याचिका'' के रूप में अधिक प्रतीत होती है.

शुरुआत में, पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के वकील को सूचित कर रही है कि इस तरह की याचिकाओं से अदालत का समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाएगी.

पीठ ने चेतावनी दी, ‘‘बेशक, हम आपकी बात सुनेंगे, लेकिन हम आपको नोटिस दे रहे हैं कि हम जुर्माना लगाएंगे.''

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अरूप बनर्जी ने कहा कि देश ने पिछले 70 वर्षों में कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ ‘ढाई युद्ध' लड़े हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है.

पीठ ने कुछ मिनटों की सुनवाई के बाद कहा कि वह याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है और याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.
 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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