"जो पिएगा, वह मरेगा ही..." ज़हरीली शराब से मौतों को लेकर आलोचना के जवाब में भड़के नीतीश कुमार

बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जयसवाल ने आज इस पर कहा, "जब तक बड़े पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक शराबबंदी को लागू नहीं किया जा सकता है. इसमें नीतीश कुमार का वेस्टेड इंटरेस्ट (निहित स्वार्थ) है." 

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बिहार के छपरा में ज़हरीली शराब से मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है. मामला छपरा सारण के इसुआपुर थाना क्षेत्र का है. अभी भी कई लोग अस्‍पताल में भर्ती हैं. बताया जा रहा है कि कुछ लोग स्थानीय स्तर पर चोरी से इलाज करा रहे हैं. इस पर भाजपा और नीतीश कुमार एक-दूसरे पर हमलावर हो गए हैं. भाजपा के हमलों का जवाब खुद नीतीश कुमार दे रहे हैं.  

नीतीश कुमार ने ज़हरीली शराब से हुई मौत पर आज फिर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, "भाजपा सरकार से बाहर गई है, इसलिए इतना आक्रामक है. देश भर में लोग जहरीली शराब से मरते हैं. बिहार में शराबबंदी से पहले भी मौतें भी होती थीं. जो शराब पिएगा, वह मरेगा ही." आपको बता दें कि आज जब नीतीश कुमार विधानसभा पहुंचे तो भाजपा के नेता पोर्टिको में उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे थे.

बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जयसवाल ने आज इस पर कहा, "जब तक बड़े पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक शराबबंदी को लागू नहीं किया जा सकता है. इसमें नीतीश कुमार का वेस्टेड इंटरेस्ट (निहित स्वार्थ) है. पहले भी शराब की वजह से लोगों की मौत हुई है. बचाव के लिए केवल छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई होता है. नीतीश कुमार का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. अगर वह दिल्ली आए तो हम उनका इलाज करवा सकते हैं." 

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वहीं राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि ज़हरीली शराब से मौत को लेकर भाजपा का शोर दरअसल सत्ता से निष्कासित होने की बेचैनी का इज़हार है. शराब को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बननी चाहिए. गुजरात में शराबबंदी है, लेकिन वहां शराब की होम डिलीवरी है. अभी इसी वर्ष जुलाई में ज़हरीली शराब से वहां 57 लोगों की मृत्यु हो गई. कई अंधे हो गए. जबकि उस इलाक़े के लोगों ने पुलिस को एक बार नहीं कई बार अवैध ढंग से शराब की बिक्री की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और उसका नतीजा हुआ ज़हरीली शराब से 57 आदमी मौत के शिकार हो गए.

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शिवानंद तिवारी ने कहा कि गुजरात तो नरेंद्र भाई मोदी का राज्य है. लंबे समय तक वहां उनकी सरकार रही है. उनके शासन का वहां एक मॉडल बना था. उसी का शोर मचा कर वे दिल्ली की तख़्त पर आरूढ़ हो गए. अभी वहां विधानसभा चुनाव में उनको अभूतपूर्व समर्थन मिला. बावजूद इसके वहां अवैध शराब की होम डिलीवरी हो रही है. बिहार में जब शराबबंदी नहीं थी, उस समय भी अवैध ढंग से शराब बनाया जाता था. उससे भी मौतें होती थीं. 

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