प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि देश में व्यवस्थाओं में बदलाव की बेहद ज़रूरत है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का लोकसभा में जवाब देते हुए बुधवार को उन्होंने एक रोचक किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि संभवतः '60 के दशक में राज्यकर्मियों के वेतन की समीक्षा करने और उसे बढ़ाने के लिए तमिलनाडु में आयोग बिठाया गया था, जिसके अध्यक्ष को एक 'टॉप सीक्रेट' खत प्राप्त हुआ. उस 'टॉप सीक्रेट' खत में दरअसल एक आवेदन पत्र था, जिसमें लिखा था - बहुत सालों से ईमानदारी से काम कर रहा हूं, और तनख्वाह नहीं बढ़ाई जा रही है, सो, उसे बढ़ाया जाए.
जब अध्यक्ष महोदय ने खत के जवाब में खत लिखकर पूछा कि आप किस पद पर कहां तैनात हैं, तो उत्तर में लिखा गया कि वह शख्स मुख्य सचिव के ऑफिस में CCA के पद पर कार्यरत है. प्रधानमंत्री के मुताबिक, अध्यक्ष को भी नहीं पता था कि CCA क्या है, सो, उन्होंने फिर सवाल किया. जवाब में CCA ने लिखा, "मैं शर्तों से बंधा हुआ हूं, और अपने पद के बारे में वर्ष 1975 से पहले कुछ नहीं बता सकता..." इसके जवाब में अध्यक्ष महोदय ने साफ-साफ लिखा कि फिर आपको वर्ष 1975 के बाद आने वाले आयोग से ही दरख्वास्त करनी होगी. तब CCA ने फिर खत लिखकर बताया, "मैं CCA के पद पर कार्यरत हूं, जिसका मतलब होता है - चर्चिल सिगार असिस्टेंट..."
PM नरेंद्र मोदी ने बताया कि इसके बाद में सवाल-जवाब में जानकारी मिली कि वर्ष 1940 में जब विंस्टन चर्चिल इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चुने गए थे, तब उनके लिए भारत में त्रिची से विशेष रूप से सिगार भेजे जाते थे, और इसी के लिए CCA का पद सृजित किया गया था, जिसका काम सिगार को इंग्लैंड में विंस्टन चर्चिल तक पहुंचने की व्यवस्था और पुष्टि करना था. वर्ष 1945 के चुनाव के बाद चर्चिल प्रधानमंत्री नहीं रहे, लेकिन CCA का पद बना रहा, और आपूर्ति भी जारी रही. दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत के 1947 में स्वतंत्र हो जाने के बाद भी यह पद बना रहा, लेकिन अब यह मुख्य सचिव कार्यालय के अधीन हो गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह उद्धरण देकर कहा कि इस तरह के गैरज़रूरी पद बने रहे, और ज़रूरत की व्यवस्थाएं नहीं की गईं, तो काम चलना मुश्किल होगा, सो, बदलाव बेहद ज़रूरी है, और यही उद्देश्य लेकर उनकी सरकार काम कर रही है.