पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि यदि कोई यह कहता है कि धर्मनिरपेक्षता बुरी चीज है या लोकतंत्र खतरनाक है तो वह इसे स्वीकार नहीं कर सकतीं. बनर्जी ने आरोप लगाया कि देश में संघवाद को ‘‘पूरी तरह से ध्वस्त'' कर दिया गया है और कई राज्यों को जीएसटी (माल एवं सेवा कर) का उनका हिस्सा नहीं मिल रहा.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई कहता है कि धर्मनिरपेक्षता बुरी चीज है, समानता की कल्पना नहीं की जा सकती, लोकतंत्र खतरनाक है और संघीय ढांचा विनाशकारी है, तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते.''
बनर्जी ने ‘इस सदन का यह मानना है कि भारत को नये संविधान की आवश्यकता नहीं है' विषय पर ‘द टेलीग्राफ' समाचार पत्र की राष्ट्रीय परिचर्चा के दौरान सवाल किया कि क्या देश चुनाव के ‘प्रेसीडेंशियल' स्वरूप की ओर बढ़ रहा है.
बनर्जी ने कहा कि संविधान की आत्मा उसकी प्रस्तावना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का संविधान लोकतंत्र, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता का ख्याल रखते हुए बहुत मेहनत से तैयार किया गया था. बनर्जी ने कहा कि मौलिक अधिकारों और देश की संप्रभुता के बीच संतुलन को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर संविधान केवल एजेंसी द्वारा, एजेंसी के लिए और एजेंसी द्वारा चलाया जाएगा, तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते.'' उन्होंने कहा, ‘‘संविधान लोगों का, लोगों द्वारा और लोगों के लिए है.''
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बोलने का कोई अधिकार नहीं है. अगर मैं मजबूती से कुछ कहूंगी तो कल ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मेरे घर आ जाएगी.''
बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिए बिना व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि उन्होंने राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है, लेकिन ‘‘इतना अच्छा प्रधानमंत्री'' नहीं देखा.
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