'SC का आदेश ढंग से पढ़ा जाए, तो...' : स्कूलों को एनुअल फीस वसूलने की इजाज़त देने के खिलाफ अपील पर दिल्ली HC

दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को एनुअल फीस और डेवलपमेंट फीस वसूलने की इजाजत देने वाले फैसले के खिलाफ अपील पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज सुनवाई हुई.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
हाईकोर्ट ने सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को एनुअल फीस (Annual Fees) और डेवलपमेंट फीस वसूलने की इजाजत देने वाले फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ढंग से पढ़ लिया जाए तो पूरा विवाद ही खत्म हो जाए. उच्च न्यायालय ने संबंधित पक्षों (दिल्ली सरकार, अभिभावक संघ, एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल और निजी स्कूलों के संघ ) को निर्देश दिया कि वे अंतिम दलीलें दायर करें.  

हाईकोर्ट ने सुनवाई 14 जुलाई को ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी. अभिभावकों के साथ दिल्ली सरकार ने भी संबंधित फैसले को हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच के सामने चुनौती दी है. 

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ढंग से पढ़ लिया जाए तो पूरा विवाद ही खत्म हो जाए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था. 

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, दिल्ली उच्च न्यायालय ने गत सात जून को 450 निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘ऐक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स' को नोटिस जारी किया था और उससे एकल न्यायाधीश के 31 मई के आदेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और छात्रों की अपीलों पर जवाब मांगा था. हालांकि, खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

READ ALSO: UP सरकार का बड़ा फैसला, राज्य के स्कूल शैक्षणिक सत्र 2021-22 में नहीं कर सकेंगे फीस में बढ़ोतरी

एकल पीठ ने 31 मई के अपने आदेश में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा अप्रैल और अगस्त 2020 में जारी दो कार्यालय आदेशों को निरस्त कर दिया था, जो वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क लेने पर रोक लगाते हैं तथा स्थगित करते हैं। अदालत ने कहा था कि वे ‘अवैध' हैं और दिल्ली स्कूल शिक्षा (डीएसई) अधिनियम एवं नियमों के तहत शिक्षा निदेशालय को दी गयी शक्तियों से परे हैं.

एकल न्यायाधीश ने 31 मई के अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार के पास निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा लिए जाने वाले वार्षिक और विकास शुल्क को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह अनुचित रूप से उनके कामकाज को सीमित करेगा. 

Advertisement

दिल्ली: अभिभावकों की मुश्किल, अब बकाया फीस देनी होगी

Featured Video Of The Day
Meta छंटनी, Oppo Reno 13 Series | Realme P3 Pro | Samsung Galaxy S-Series Leak | Gadgets 360 With TG
Topics mentioned in this article