कोविशील्ड-कोवैक्सीन की मिक्स डोज लेने वालों में बढ़ी प्रतिरोधी क्षमता, ICMR के अध्ययन से खुलासा

आईसीएमआर की रिपोर्ट में यह सामने आया है. यह अध्ययन यूपी के सिद्दार्थनगर में उन लोगों पर की गई, जिन्हें गलती से कोविशील्ड की पहली वैक्सीन के बाद दूसरी डोज के तौर पर कोवैक्सीन दे दी गई थी. तब इस प्रकरण को लेकर काफी होहल्ला मचा था. 

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Covishield Covaxin को लेकर यह अध्ययन सिर्फ 18 प्रतिभागियों पर किया गया (फाइल)
नई दिल्ली:

कोरोना की देश में तैयार दो वैक्सीनों कोविशील्ड और कोवैक्सीन (Covishield Covaxin Mix ) के मिश्रण ने बेहतर परिणाम दिए हैं. इससे ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता मिली है. मेडिकल संस्था आईसीएमआर (ICMR) की रिपोर्ट में यह सामने आया है. यह अध्ययन यूपी के सिद्धार्थनगर (UP Siddharth Nagar) में उन लोगों पर की गई, जिन्हें गलती से कोविशील्ड की पहली वैक्सीन के बाद दूसरी डोज के तौर पर कोवैक्सीन दे दी गई थी. तब इस प्रकरण को लेकर काफी होहल्ला मचा था. हालांकि मेडिकल संस्था ने इस पर आगे और अध्ययन की वकालत की है.

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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद  (ICMR) ने खुलासा किया है कि कोवैक्सीन और कोवैक्सीन का ये डबल डोज लेने वाले लोगों में ज्यादा बेहतर प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस के प्रति पाई गई. सिद्दार्थनगर में वैक्सीनेशन अभियान (nationwide vaccination program) के दौरान दो अलग-अलग टीके लग जाने की घटना को लेकर हड़कंप मच गया था. आशंका थी कि इसको लेकर वैक्सीन लगवाने को लेकर कुछ हिचकिचाहट भी सामने आ सकती है.

हालांकि आईसीएमआर के अध्ययन ने आशंका के उलट नतीजे दिए हैं. संस्था ने पाया कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन की अलग-अलग दोनों डोज लेने वालों की तुलना में मिश्रित खुराक लेने वालों में बेहतर परिणाम पाए. आईसीएमआर में महामारी एवं संक्रामक रोग विशेषज्ञ के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि यह एक प्राकृतिक प्रयोग की तरह था, जब दूसरी डोज के तौर पर अलग वैक्सीन देने के परिणामों को परखा गया. अनजाने में अलग-अलग ये वैक्सीन लेने वालों की जांच की गई. हालांकि इन 18 प्रतिभागियों में से दो ने इस जांच में सहयोग से इनकार किया. बाकी 16 लोगों में 11 पुरुष और सात महिलाएं थीं, जिनकी औसत उम्र 62 वर्ष थी. 

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स्टडी के अनुसार, प्रतिभागियों में सिर्फ 5.5 फीसदी ने हाइपरटेंशन की शिकायत की. रिपोर्ट में कहा गया कि अध्ययन में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मिक्स्ड डोज (1-1 डोज) लेने वालों और दोनों की अलग-अलग दो डोज लेने वालों की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन किया गया. इस पूरे अध्ययन में 40 प्रतिभागियों को शामिल किया गया. इन तीनों समूहों में टीकाकरण के बाद कुछ समय के लिए सामान्य और मामूली शारीरिक दिक्कतें सामने आईं. कोरोना के अल्फा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ मिक्स्ड डोज लेने वालों की प्रतिरोधक क्षमता को सबसे बेहतर  पाया गया. उनमें एंटीबॉडी की मात्रा भी काफी ज्यादा थी. 

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पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी का कहना है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दो अलग-अलग फार्मूले पर बनी कोविड वैक्सीन हैं. कोवैक्सीन में कोरोना का मृत वायरस इस्तेमाल किया गया है और यह शरीर के इम्यून सिस्टम को वायरस के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने का निर्देश देता है. जबकि कोविशील्ड वायरस वेक्टर फार्मूले पर आधारित है, जिसमें सामान्य जुकाम के कमजोर वायरस का इस्तेमाल कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधी क्षणता पैदा करने का तरीका अपनाया गया है.

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