भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की कोरोनावायरस (Covid19)पर काम करने वाली नेशनल टास्कफोर्स ने एंटीवायरल दवा मोलनुपिराविर (Molnupiravir) को कोरोना वायरस संक्रमण के मेडिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में शामिल नहीं करने का फैसला किया है. ICMR के विशेषज्ञों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया और कहा कि कोविड के इलाज में मोलनुपिराविर ज्यादा फायदेमंद नहीं है. इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, 'कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य इस दवा को राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इससे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में ज्यादा फायदा नहीं होता है और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं.'
ICMR के प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने पिछले हफ्ते कहा था कि ‘‘हमें यह याद रखना होगा कि इस दवा से प्रमुख सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हैं. यह भ्रूण विकार उत्पन्न कर सकती है और आनुवंशिक बदलाव से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है. यह मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.''
भार्गव ने कहा था कि दवा लेने के बाद तीन महीने तक पुरुष और महिलाओं- दोनों को गर्भ निरोधक उपाय अपनाने चाहिए. क्योंकि भ्रूण विकार संबंधी स्थिति के प्रभाव के बीच पैदा हुआ बच्चा समस्या से ग्रस्त हो सकता है.
मोलनुपिराविर को लेकर सुरक्षा संबंधी बड़ी चिंताओं के बारे में बात करते हुए डॉक्टर बलराम भार्गव ने बताया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ब्रिटेन ने भी इसे उपचार में शामिल नहीं किया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मोलनुपिराविर एक एंटीवायरल (विषाणु रोधी) दवा है जो SARS CoV2 को अपनी संख्या बढ़ाने से रोकती है. कोविड रोधी गोली मोलनुपिराविर के आपात प्रयोग के लिए 28 दिसंबर को भारत के औषधि नियामक से मंजूरी मिल गई थी.
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