भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) के विशेषज्ञों के अनुसार, स्कूलों को एक चरणबद्ध तरीके (प्राथमिक स्कूलों से शुरुआत करते हुए सैकेंडरी स्कूलों तक) से खोलने और बहुस्तरीय हल्के उपाय उठाए जाने की आवश्यकता है. द इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (The Indian Journal of Medical Research) में प्रकाशित एक विचार के मुताबिक, विशेषज्ञों ने यूनेस्को (UNESCO) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि भारत में 500 से ज्यादा दिनों तक स्कूलों को बंद रखने से 32 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं.
कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों को खोलनाः एक सतत दुविधा‘ शीर्षक से पेश विचारों के अनुसार, कोविड समय से पूर्व की अवस्था में जितना जल्द से जल्द वापस जाना भारतीय संदर्भ में दूरदर्शितापूर्ण लगता है.
रिपोर्ट के लेखक, तनु आनंद, बलराम भार्गव और समीरन पांडे ने कहा कि यद्यपि यह आवश्यक है कि स्कूलों को फिर से खोलने और किसी भी लहर को रोकने के लिए राज्य और यहां तक की जिले के विशिष्ट आंकड़ों और टीकाकरण कवरेज की स्थिति के बारे में पता होना जरूरी है.
विशेषज्ञों ने भारत में पहले से ही व्यापक रूप से सीखने की असमानताओं पर प्रकाश डाला है और कहा है कि स्कूलों में व्यक्तिगत रूप से सीखने के लिए उचित समय क्या है, इस पर वैज्ञानिक सहमति का अभाव है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सुझाव देने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि एक से 17 साल की आयु के बच्चों में वयस्कों की तरह सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के हल्के रूप में समान संवेदनशीलता होती है.
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