दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर के जल विहार में कुछ समय पहले तक पुराना खंडहर का किला जैसा दिखने वाला एक निर्माण हुआ करता था. अब वह खंडहर या किला वहां पर नहीं है. केवल उसके कुछ अवशेष बचे हैं. दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के मुताबिक, यह खंडहर या किला जैसा दिखने वाला निर्माण 15वीं सदी का एक 'महल' था.
सय्यैद पठान के समय का है ये निर्माण
दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के मुताबिक, सय्यैद पठान के समय का ये निर्माण था. उस समय के शहर के बाकी निर्माण इस समय अस्तित्व में नहीं हैं, लेकिन यह निर्माण उससे ही संबंधित था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी इसको दिल्ली के हिंदू और मुस्लिम स्मारकों की सूची में रखा था.
IAS अधिकारी पर है ये आरोप
दिल्ली सरकार में उच्च पद पर तैनात रहे एक IAS अधिकारी पर दिल्ली सरकार के ही सतर्कता विभाग ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपना सरकारी बंगला बनवाने के लिए 15वीं सदी के इस सय्यैद पठान काल के महल को ज़मींदोज़ कर दिया.
NDTV की टीम मौके पर पहुंची
NDTV की टीम ने मौके पर जाकर मामले की जानकारी ली. आसपास के लोगों ने बताया कि यहां पर पहले एक काफी बड़े इलाके में खंडहर या किला जैसा निर्माण हुआ करता था. लेकिन अब उसी जगह पर बंगला बन गया है. जिस जगह पर 'महल' या 'खंडहर' को तोड़कर सरकारी बंगला बनाने की बात की जा रही है. वहां पर शानदार बंगला दिखाई दे रहा है, तो वही पास में कुछ अवशेष ज़रूर बचे हुए दिखाई पड़ते हैं.
पुरातत्व विभाग ने मांगा था हैंडओवर
जनवरी 2021 में दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड को कहा कि आपके अधिकार क्षेत्र में 15वीं सदी के पठान पीरियड का एक महल है, जो काफी खराब हालत में है. उसको सौंप दिया जाए, ताकि इसकी देखरेख हो सके. लेकिन, हैंडओवर नहीं हुआ. जनवरी 2023 में जब पुरातत्व विभाग की टीम दोबारा इस जगह पर गई, तो उनको वह महल नहीं दिखा. उसकी जगह पर अवशेष जैसा हिस्सा बचा हुआ था.
IAS अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी
दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने IAS अधिकारी और दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसमें कहा गया है कि उन्होंने ही इस निर्माण को पुरातत्व विभाग को सौंपने से रोका. फिर महलनुमा निर्माण को तुड़वाया. जबकि वो जानते थे कि वे ऐतिहासिक स्मारक है.
खुद के नाम अलॉट किया बंगला
नोटिस में कहा गया है कि उन्होंने ही खुद को ये बंगला भी आवंटित करवाया और नोटिस देने के बावजूद खाली नहीं किया. आरोप है कि दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय ने अपनी आधिकारिक स्थिति का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए किया, जो जनहित और नियमों का उल्लंघन है.
मिजोरम में है पोस्टिंग
उदित प्रकाश राय की इस साल मिजोरम में पोस्टिंग हो गई है, जबकि उनका परिवार इसी बंगले में रहता है. IAS अधिकारी को नोटिस का जवाब देने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया है.
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