पुरी में भगदड़, तीन लोगों की हुई मौत
पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान मची भगदड़ को लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भक्तों से माफी मांगी है. उन्होंने कहा है कि मैं भगवान जगन्नाथ के भक्तों से इस घटना के लिए क्षमा मांगता हूं. आपको बता दें कि पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगदड़ में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो महिलाएं शामिल हैं. इसके अलावा, 10 लोग घायल भी हुए हैं. यह हादसा सुबह करीब 4:30 बजे हुआ, जब भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को ले जा रहे तीन रथ जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर के पास थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, गुंडिचा मंदिर के पास भारी भीड़ दर्शन के लिए जुटी थी.
भीड़ बढ़ने पर कुछ लोग गिर गए, जिससे भगदड़ शुरू हो गई. इस हादसे में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. मृतकों में दो महिलाएं- प्रभाती दास और बसंती साहू शामिल हैं. इसके अलावा, 70 वर्षीय प्रेमकांत मोहंती की भी मौत हुई है. ये तीनों खुरदा जिले के रहने वाले थे और रथ यात्रा के लिए पुरी आए थे. कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है.
रथों के अपने गंतव्य पहुंचने पर इन्हें गुंडिचा मंदिर के बाहर रखा गया था. औपचारिक शोभायात्रा के बाद देवताओं को रविवार को मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा. इस बीच भगवान जगन्नाथ के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट रही है. हर कोई भगवान जगन्नाथ ही एक झलक पाने को आतुर नजर आ रहा है.
पुरी में रथ यात्रा शुरू होने के एक दिन बाद शनिवार को भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ अपने गंतव्य गुंडिचा मंदिर पहुंच गए हैं. गुंडिचा मंदिर को देवताओं की ‘मौसी' का घर माना जाता है जो हर साल जगन्नाथ मंदिर से निकलकर अपनी ‘मौसी' के घर जाते हैं. गुंडिचा मंदिर 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से 2.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
देवता नौ दिन बाद मुख्य मंदिर चले जाएंगे. वापसी की रथ यात्रा को ‘बहुदा यात्रा' कहा जाता है जो इस साल पांच जुलाई को होगी. इससे पहले दिन में ‘जय जगन्नाथ' और ‘हरि बोल' के जयकारों के बीच श्रद्धालुओं ने आज सुबह लगभग 10 बजे तीनों रथों को फिर से खींचना शुरू किया। पुरी में 27 जून की रात रथयात्रा रोक दी गई थी.