हैदराबाद की कम प्रसिद्ध कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर चुनावी बॉण्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली दूसरी सबसे बड़ी दानदाता है. मेघा इंजीनियरिंग ने हाल के वर्षों में प्रतिष्ठित जोजिला सुरंग परियोजना हासिल की, नगरीय गैस क्षेत्र में प्रवेश किया और एक मीडिया समूह का अधिग्रहण किया है.
966 करोड़ का इलेक्टोरल बॉन्ड
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने वित्त वर्ष 2019-20 और 2023-24 के बीच कुल 966 करोड़ रुपये के बॉण्ड खरीदे. इसी अवधि में कंपनी ने 2020 में जम्मू-कश्मीर में सभी मौसम के अनुकूल सुरंग आधारित सड़क बनाने का ठेका हासिल किया था. इसके अलावा कंपनी को मिली परियोजनाओं में कुछ शहरों में सीएनजी और पाइप से रसोई गैस (पीएनजी) की खुदरा बिक्री के लिए लाइसेंस भी शामिल है.
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की कहानी
गैर-सूचीबद्ध निजी कंपनी की स्थापना 1989 में उद्योगपति पामीरेड्डी पी रेड्डी ने मेघा इंजीनियरिंग एंटरप्राइजेज के रूप में की थी. उस समय यह नगर पालिकाओं के लिए पाइप बनाती थी. साल 2006 में इसने अपना नाम बदलकर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कर लिया और बांध, प्राकृतिक गैस वितरण नेटवर्क, बिजली संयंत्र तथा सड़क जैसी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में काम करने लगी.
चुनाव आयोग ने बृहस्पतिवार शाम चुनावी बॉण्ड की जो सूची जारी की, उसके अनुसार बीआरएस को 2019 से 2023 के बीच 1,214.7 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड मिले. पार्टी चुनावी बॉण्ड के जरिए चंदा पाने वालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस के बाद चौथे स्थान पर थी. हाल के वर्षों में एमईआईएल ने जबरदस्त वृद्धि की और विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख परियोजनाएं हासिल की हैं. एमईआईएल ने इस संबंध में प्रतिक्रिया के लिए पीटीआई-भाषा के सवालों के जवाब नहीं दिए.