रूसी आक्रमण (Russian Attack) के बाद युद्धग्रस्त यूक्रेन (Ukraine) में फंसे हजारों भारतीय विद्यार्थियों के लिए स्वदेश वापसी की राह जाहिर तौर पर आसान नहीं है. ऐसे युवाओं के बड़े जत्थे को रोमानिया की सरहद पर कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे दो दिन तक बिना किसी आश्रय के रहना पड़ा. इनमें से एक विद्यार्थी (Student) के परिजन ने सोमवार को यह जानकारी दी. जल्द से जल्द वतन वापसी की जद्दोजहद में लगे इंदौर के विभोर शर्मा (22) यूक्रेन के टर्नोपिल राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं.
विभोर की मां कामिनी शर्मा (Kamini Sharma) ने इंदौर में ‘पीटीआई-भाषा' को बताया,‘‘मेरा बेटा रोमानिया की सरहद तक पहुंचने के लिए टर्नोपिल से किसी तरह बस (Bus) में सवार हुआ. लेकिन जब यह सरहद थोड़ी ही दूर थी, तब उसे किसी दिक्कत के चलते बस से उतरना पड़ा.''उन्होंने बताया कि विभोर उनके जैसे सैकड़ों भारतीय विद्यार्थियों के साथ करीब 25 किलोमीटर पैदल चलकर रोमानिया की सरहद तक पहुंचा. लेकिन रोमानिया के रास्ते भारत (India) वापस लौटने की कोशिश में जुटे युवाओं की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं.
शर्मा ने अपने बेटे से फोन पर हुई बातचीत के हवाले से बताया,‘‘रोमानिया की सरहद पर जमा सैकड़ों विद्यार्थियों (Students) के इस जत्थे को कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे दो दिन तक रहना पड़ा क्योंकि उन्हें इस मुल्क में प्रवेश की अनुमति तत्काल नहीं मिली.''उन्होंने बताया कि उन्हें पता चला है कि इन भारतीय विद्यार्थियों को रोमानिया में प्रवेश की अनुमति का रास्ता सोमवार सुबह साफ हो सका है. रूस-यूक्रेन संकट की अनिश्चितताओं के बीच अपने बेटे की स्वदेश वापसी की चिंताओं से जूझती भारतीय महिला ने कहा,‘‘मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा जल्द से जल्द मेरी नजरों के सामने हो.''
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