सोने की हॉलमार्किंग (HUID) को 16 जून से अनिवार्य किया गया है
Gold Hallmarking HUID : देश में सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग 15 जून से अनिवार्य की गई थी और सरकार ने स्टॉक के सभी पुराने गहनों पर हॉलमार्किंग के लिए ज्वेलर्स को 31 अगस्त तक मोहलत दी थी. लेकिन अब हॉलमार्किंग की यूनीक आईडी (Hallmarking Unique ID) यानी HUID के विरोध में ज्वेलर्स खुलकर सामने आ गए हैं और 23 अगस्त की हड़ताल मुख्यतया इसी मुद्दे पर हो रही है. जबकि सरकार गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) को बेहद सफल बता रही है. उसका कहना है कि स्वर्ण कारोबारियों की अगर कोई सही मांग या आपत्ति है तो सरकार उस पर चर्चा करने को तैयार है.
- HUID का अर्थ है हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन. ये एक 6 अंक का अल्फान्यूमेरिक कोड है, जो हर ज्वेलरी पर लगता है. इससे उस गहने की एक अलग पहचान बनती है. सोने की शुद्धता की गारंटी देने वाली हॉलमार्किंग में कैरेट के साथ ये कोड डाला जाता है. जैसे हर शख्स की पहचान का आधार नंबर होता है. देश में16 जून से देश के 256 जिलों में हॉलमार्क ज्वेलरी अनिवार्य किया गया. HUID से कहीं भी तुरंत पता चलता है कि उसका निर्माता कौन है, उसका वजन क्या है, जेवर क्या है? किसको बेची गई और किस हॉलमार्किंग सेंटर में उसे यह कोड दिया गया.
- ज्वेलर्स के मुताबिक अब वो जब भी जितने भी ज्वेलरी पीस बेचेंगे, उनको बाकायदा हर पीस की HUID डिटेल और यह किसको बेचा गया, ये तमाम जानकारी BIS के पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. ज्वेलर्स का कहना है कि इससे ज्वेलर्स की तो ट्रैकिंग होगी ही साथ ही कस्टमर की भी ट्रैकिंग होगी जिससे ग्राहक की निजता खतरे में पड़ सकती है.
- ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के अध्यक्ष पंकज अरोरा (Pankaj Arora, President of All India Jewelers and Goldsmiths Federation)गोल्ड हॉलमार्किंग में देश के जिन 256 जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य है, लेकिन HUID के कारण हॉलमार्किंग में समय लग रहा है. इससे कारोबार ठप है. ज्वेलर्स कह रहे हैं कि हॉलमार्किंग में 5 से 10 दिन का भी समय लग रहा है. जिन जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं है, वो भी दिल्ली, मुंबई के बड़े शहरों के हॉलमार्किंग सेंटरों की ओर भाग रहे हैं.
- द बुलियन एंड ज्वेलरी एसोसिएशन के योगेश सिंघल का कहना है कि हॉलमार्किंग अनिवार्य किए जाने के वक्त 700 के करीब लैब थीं, लेकिन ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स की लालफीताशाही के कारण इसमें एक भी बढ़ोतरी नहीं हुई. बल्कि कुछ हॉलमार्किंग सेंटर को खामियां बताकर बंद कर दिया गया. इससे हॉलमार्किंग तेज गति से नहीं हो पा रही है.
- ज्वेलर्स का तर्क है कि जब सोने की शुद्धता की गारंटी यानी हॉलमार्किंग सेंटर पर होती है तो उस आभूषण की गुणवत्ता में कोई कमी निकलती है तो जिम्मेदारी हॉलमार्क सेंटर पर रखी जाए. लेकिन सोने की गुणवत्ता में गड़बड़ी पर जिम्मेदारी कारोबारी पर क्यों डाली जा रही है.
- ज्वेलर्स का यह भी कहना है कि हॉलमार्क सेंटर पर आभूषण को हॉलमार्किंग के दौरान जो टूटफूट हो रही है, गहने की फिनिशिंग औऱ चमक खराब हो रही है या फिर जेवर का वजन कम हो रहा है तो उसकी जिम्मेदारी ज्वेलर्स पर कैसे बनती है. इससे धंधा चौपट हो जाएगा.
- हर ज्वेलरी पीस का वजन, मेकिंग तय होगा तो ऐसे में अगर ग्राहक अपनी मर्जी से किसी जेवर में बदलाव करवाना चाहें या दो अलग-अलग ज़ेवर से कोई कांबिनेशन बनाना चाहें तो ज्वेलर्स के पास केवल 2 ग्राम तक का बदलाव या alteration करने की ही इजाजत होगी. इससे ऊपर का बदलाव होने पर ज्वैलर को पहले उसको फिर से HUID कराने के लिए भेजना होगा. तब ग्राहक को उसका पसंदीदा गहना मिल सकेगा.
- हॉलमार्क ज्वेलर्स की बनाई नेशनल ट्रांसपोर्ट के सदस्य अशोक मीनावाला के मुताबिक ' हम हॉल मार्किंग का स्वागत करते हैं लेकिन HUID हॉलमार्किंग यूनिक आईडी का नहीं. HUID एक विनाशकारी प्रक्रिया है जो वर्तमान अनिवार्य हॉलमार्किंग प्रक्रिया में आभूषणों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती है
- नेशनल टॉस्कफोर्स का कहना है कि HUID ग्राहकों और कारोबारियों के हितों के खिलाफ है. यह ज्वेलर्स को क्लर्क बनाने की कवायद है. रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस रद्द करने, दंडात्मक प्रावधान, तलाशी और जब्ती का नियम स्वर्ण उद्योग में इंस्पेक्टर राज लाएगा. ज्वेलर्स को अंदेशा है कि BIS में पंजीकरण कराकर उन्होंने कारोबार के नुकसान का सौदा कर लिया है.
- टॉस्कफोर्स के सदस्य और जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल के निदेशक दिनेश जैन के मुताबिक ' अनुमान है कि भारत में सालाना लगभग 10 से 12 करोड़ ज्वेलरी पीस का निर्माण होता है. लगभग 6 से 7 करोड़ ज्वेलरी पीस के मौजूदा स्टॉक की भी हॉलमार्किंग होनी बाकी है. हॉलमार्किंग सेंटर की क्षमता करीब 2 लाख पीस प्रतिदिन है. इससे हर साल बनने वाली ज्वेलरी की हॉलमार्किंग में 3 से 4 वर्ष के बराबर वक्त लगेगा.
- हॉलमार्किंग को लेकर ज्वेलर्स का यह भी कहना है कि ज्यादातर हॉलमार्किंग सेंटर का 2 से 4 करोड़ रुपये का बीमा है, व्यापारी अपना 100 करोड़ रुपये का माल सेंटर पर नहीं छोड़ सकते. अगर चोरी हुई तो भरपाई कौन करेगा. सरकार नए सेंटर खोलने में भी मदद नहीं कर रही. व्यापारियों को बीआईएस लैब के लाइसेंस के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ज्वेलर्स को भी ऐसी लैब खोलने की इजाजत दी जाए.
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