NDA के सहयोगी- किसमें कितना है दम? क्या गठबंधन में है कोई कमजोर कड़ी

बहुमत नहीं मिलने के कारण नरेंद्र मोदी की सरकार इस बार चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के भरोसे रहेगी. नायडू और नीतीश दोनों हार्ड बार्गेनर माने जाते हैं. दोनों इससे पहले NDA में रह चुके हैं और गठबंधन छोड़कर जा भी चुके हैं. चर्चा ये भी है कि सहयोगी दल BJP पर अपनी पसंद के पोर्टफोलियों के लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं.

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नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections Result 2024) के बाद केंद्र में तीसरी बार NDA की सरकार बनने जा रही है. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. 2024  के लोकसभा चुनाव में BJP बहुमत से दूर रही. उसे 240 सीटें ही मिली हैं. जबकि NDA की 293 सीटें हैं. चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की पार्टी TDP को 16 और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की JDU को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई है. लिहाजा नरेंद्र मोदी की सरकार नायडू और नीतीश के भरोसे रहेगी. चर्चा ये भी है कि सहयोगी दल BJP पर अपनी पसंद के पोर्टफोलियों के लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं.

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों इससे पहले NDA में रह चुके हैं और गठबंधन छोड़कर जा भी चुके हैं. दोनों नेता हार्ड बार्गेनर माने जाते हैं. 2019 में NDA की सरकार में रहते हुए चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का दबाव बनाया था. मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने समर्थन वापस ले लिया था. TDP के दो मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, इससे मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि BJP पूर्ण बहुमत में थी. इसी तरह नीतीश कुमार भी बिहार के लिए स्पेशल राज्य के दर्जे और जातीय जनगणना और मुस्लिम आरक्षण के हिमायती रहे हैं.

ऐसे में आइए समझते हैं NDA के भीतर BJP की पोजिशन कैसी है? क्या NDA के दल हार्ड बार्गेनिंग कर सकते हैं:-

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NDA से TDP-JDU बाहर हो जाए तो क्या होगी स्थिति?
मोदी सरकार 3.0 में अगर TDP-JDU समर्थन वापस ले, तो इस केस में 3 सिनैरियों बन सकते हैं:- 

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1. अगर नीतीश कुमार की पार्टी JDU एक बार फिर से NDA से बाहर हो जाए, तो NDA की 293 सीटें घटकर 281 रह जाएंगी. हालांकि, इस केस में भी NDA बहुमत के आंकड़े 272 से ऊपर रहेगी. अगर JDU कांग्रेस की अगुवाई वाले INDIA अलायंस में शामिल हो जाती है, तो इस केस में INDIA की सीटें 232 से बढ़कर 244 हो जाएंगी. लेकिन फिर भी ये बहुमत के आंकड़े से 28 सीटें कम है. साफ है कि JDU के अकेले INDIA में जाने से NDA की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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2. अगर TDP गठबंधन से बाहर आ जाए, तो NDA 293 की जगह 277 पर रह जाएगा. फिर भी NDA का बहुमत बना रहेगा, क्योंकि JDU साथ रहेगी. TDP के 16 सीटें INDIA में चली जाए, तो INDIA 232 से बढ़कर 248 पर पहुंच जाएगी, लेकिन अभी भी वो बहुमत से 24 सीट दूर होगी.

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3. अब एक तीसरी स्थिति की कल्पना करते हैं. अगर TDP और JDU दोनों NDA से अलग हो जाएं और INDIA के साथ आ जाए, तो इस केस में INDIA 260 सीटों तक पहुंच जाएगा. लेकिन फिर भी बहुमत से 12 सीटें कम रहेंगी. जबकि NDA की सीटें 265 रह जाएंगी. यानी वो भी बहुमत से 8 सीटें कम रहेगी.

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मतलब साफ है कि JDU-TDP के पास मोल-भाव की ताकत है. लेकिन इस ताकत की एक सीमा भी है. उन्हें पता है कि INDIA गठबंधन में भी सीधे चले जाना राजनीतिक नासमझी होगी. 

अहम मंत्रालयों पर सहयोगियों की नज़र
- तमाम खबरों के मुताबिक, नीतीश कुमार की JDU ने नई सरकार में रेल मंत्रालय, कृषि मंत्रालय की मांग रखी है. नीतीश कुमार ने इसके साथ ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की भी शर्त रखी है.

-सूत्रों की मानें, तो चंद्रबाबू नायडू की TDP ने लोकसभा स्पीकर पद की मांग की है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा और 2 कैबिनेट मंत्री पद की मांग रखी गई है. 1998 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार में TDP के जीएमसी बालयोगी ही लोकसभा के स्पीकर थे. ऐसा कहा जाता है कि उनकी वजह से वाजपेयी की सरकार महज 1 वोट से गिर गई थी.
 

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-सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान की LJP ने बिहार की 5 सीटें जीती हैं. ऐसी चर्चा है कि LJP ने मोदी सरकार 3.0 में एक कैबिनेट मंत्री का पद और एक राज्य मंत्री का पद मांगा है.

-सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में 2 सीटें जीतने वाले JDS के एचडी कुमारस्वामी ने भी अपनी डिमांड जाहिर की है. उन्हें कृषि मंत्रालय चाहिए.

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सहयोगियों को कैसे संभालेगी BJP? 
बेशक मोदी सरकार 3.0 में NDA के सहयोगियों की भूमिका अहम है. चार प्रमुख सहयोगियों के 40 सांसद हैं. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि BJP होल्ड रखेगी. सूत्रों के मुताबिक, BJP लोकसभा स्पीकर का पद TDP या किसी को देने को तैयार नहीं है. इसके साथ ही रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मंत्रालय पर भी BJP को बार्गेनिंग नहीं करने देगी. ज्यादा से ज्यादा TDP को डिप्टी स्पीकर का पोस्ट दिया जा सकता है.

NDA के घटक दलों के मोल-भाव पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
IANS के कंसल्टिंग एडिटर संजय सिंह कहते हैं, "2014 से पहले गठबंधन की सरकार का एक स्वरूप था. फिर 10 साल तक एक अलग तरह का गठबंधन दिखा, जिसमें BJP पूर्ण बहुमत में होने के कारण बहुत मजबूत स्थिति में थी. उस समय NDA के सहयोगियों के पास किसी तरह का बार्गेनिंग पावर नहीं था. 2024 में एक बार फिर से अलग तरह की गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही है. इसमें BJP सरकार तो चलाएगी, लेकिन अबकी बार NDA के सहयोगियों के पास बार्गेनिंग का पावर भी है. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार इस बार अच्छी पोजिशन में हैं."  

संजय सिंह कहते हैं, "चूंकि अभी सरकार का गठन नहीं हुआ है. इसलिए मोल-भाव की चर्चाएं फिलहाल चलेंगी. ऐसी चर्चाएं दो तरफ की होती हैं. पहली- अटकलों वाली. दूसरी- चक्कलस वाली. मोदी सरकार 3.0 में स्पीकर, मंत्रीपद को लेकर जो मोल-भाव की चर्चाएं चल रही हैं, वो दूसरी कैटेगरी की हैं. NDA की बैठक में जो लिखित प्रस्ताव पास हुआ, उससे खुद-ब-खुद तमाम अटकलों पर फुल स्टॉप लग जाता है."

संजय सिंह ने कहा, "चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की बात करें, तो दोनों NDA के पुराने सहयोगी हैं. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड का बेसिक कंफर्ट BJP के साथ ही है. वो बेशक किन्हीं कारणों से 2 बार NDA छोड़कर गए थे, लेकिन बाद में वापस आ गए. इस बात में कोई शक नहीं है कि नायडू भी नीतीश कुमार की तरह हार्ड बार्गेनर (अच्छी तरह से मोल-भाव करने वाले) हैं. चूंकि, BJP अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है. जाहिर तौर पर वो अपनी बातों को आगे रखेगी." 

कुनबा बढ़ाने की कोशिश में NDA
इधर, NDA अभी से अपना कुनबा बढ़ाने की तैयारी में लग गया है. पहली सेंधमारी की कोशिश उद्धव गुट में हो रही है. NDA में वापसी के लिए उद्धव ठाकरे से BJP संपर्क कर रही है. एक केंद्रीय मंत्री को उद्धव ठाकरे से बातचीत को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. 

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