केंद्र में नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का गठन हो चुका है.मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों के मंत्रालयों का बंटवारा आज शाम तक हो जाने की उम्मीद है. इस बार भी कैबिनेट में सबसे अधिक जगह देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को दी गई है. यूपी से प्रधानमंत्री मोदी समेत 11 लोगों को मंत्री बनाया गया है. वहीं मध्य प्रदेश से छह, पश्चिम बंगाल से दो और हरियाणा से तीन लोगों को मंत्री बनाया गया है.
मोदी 3.0 में यूपी का दबदबा
मोदी की तीसरी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश का दबदबा है.कैबिनेट में प्रधानमंत्री के अलावा जिन लोगों को जगह मिली है उनमें राजनाथ सिंह, अनुप्रिया पटेल, जयंत चौधरी, जितिन प्रसाद, बीएल वर्मा, पंकज चौधरी, एसपी सिंह बघेल, कीर्तिवर्धन सिंह और कमलेश पासवान के नाम शामिल हैं.अनुप्रिया पटेल और जयंत चौधरी को छोड़कर बाकी के सभी बीजेपी के सांसद हैं.यूपी से राज्यसभा सांसद हरदीप पुरी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश में 33, आरएलडी को दो और अपना दल (एस) को एक सीट पर विजय मिली है.उत्तर प्रदेश से मंत्री बनने वालों में दो राज्यसभा सांसद हैं.वहीं जितिन प्रसाद,कीर्तिवर्धन सिंह, कमलेश पासवान और जयंत चौधरी को छोड़कर बाकी के सभी नेता नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे.मोदी सरकार में शामिल उत्तर प्रदेश के नेताओं में चार ओबीसी, तीन सवर्ण (एक ब्राह्मण और दो राजपूत), दो दलित और एक अल्पसंख्यक है. वहीं अगर क्षेत्रवार बात की जाए तो पश्चिम यूपी से सबसे ज्यादा चार,पूर्वांचल से तीन और अवध से दो नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया है.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हुआ कितना घाटा
मोदी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से नेताओं को शामिल करने में क्षेत्रीय और जातिय संतुलन को साधने की कोशिश की गई है. इसके साथ ही चुनाव के दौरान बीजेपी से नाराज हुए मतदाताओं को मनाने की जुगत में एक राजपूत और ओबीसी के चार लोगों को मंत्री बनाया गया है. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को तगड़ी चुनौती दी है. जानकारों का कहना है कि सपा ने बीजेपी के दलित और ओबीसी मतदाताओं को अपनी ओर मिलाया है.इस वजह से बीजेपी को 29 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी इस स्थिति को बदलना चाहती है.
साल 2014 और 2019 की तुलना में इस बार बीजेपी को यूपी में बीजेपी को 29 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. साल 2014 में अकेले बीजेपी को 80 में से 71 सीटें मिली थीं. वहीं एनडीए को 73 सीटें मिली थीं. वहीं 2019 में अकेले बीजेपी को 62 और एनडीए को 64 सीटें मिली थीं. साल 2024 के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 33. उसके सहयोगियों को तीन सीटें मिली हैं.
मध्य प्रदेश में बीजेपी की नजर आदिवासियों पर
वहीं अगर उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की बात करें तो इस बार वहां की सभी 29 सीटें बीजेपी की झोली में गई हैं. इस वजह से राज्य के छह सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. इनमें तीन कैबिनेट और तीन राज्यमंत्री शामिल हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कैबिनेट मंत्री की पोस्ट दी गई है. उनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया और डॉक्टर वीरेंद्र कुमार को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. ये दोनों मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे.
इनके अलावा मध्य प्रदेश से ही राज्य सभा सदस्य एल मुरुगन को राज्य मंत्री बनाया गया है. वो तमिलनाडु की नीलगिरी (सुरक्षित) सीट से लोकसभा चुनाव हार गए थे. इनके अलावा सावित्री ठाकुर और दुर्गादास उइके को भी राज्यमंत्री बनाया गया है. उइके महाकौशल में आने वाले बैतूल लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं. वहीं ठाकुर मालवा की धार सीट से सांसद चुनी गई हैं. ये दोनों नेता आदिवासी समुदाय से आते हैं. इसके जरिए बीजेपी ने आदिवासी वर्ग में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश की है. मोदी की पिछली सरकार में फग्गन सिंह कुलस्ते कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. इस बार भी वो जीते हैं, लेकिन कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिली है.
कैबिनेट मंत्री शिवराज सिंह चौहान के जरिए बीजेपी ने अनुभव को वरीयता दी है. वो चार बार मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री और पांच बार सांसद रह चुके हैं. चौहान का केंद्र की राजनीति में लाने का इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कर चुके थे. हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री न बनाए जाने से चौहान पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. अब देखना यह होगा कि उन्हें कौन सा मंत्रालय मिलता है. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री बनाए गए डॉक्टर वीरेंद्र कुमार और ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश में जाना-पहचाना नाम हैं. ये दोनों मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे. इस तरह बीजेपी ने एक ओबीसी, एक दलित और एक सवर्ण को कैबिनेट में जगह दी है. इसी तरह से राज्य से राज्यमंत्री बने दोनों नेता आदिवासी समाज से आते हैं.इस तरह से बीजेपी ने राज्य की आबादी को संदेश देने की कोशिश की है.
बंगाल में क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश
पश्चिम बंगाल बीजेपी के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है.बीजेपी राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को हटाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है. लेकिन इस बार के चुनाव में वहां नुकसान उठाना पड़ा है. बीजेपी ने दो सांसदों को मोदी कैबिनेट में शामिल किया है. इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का नाम भी शामिल है. इसके अलावा मतुआ समुदाय के शांतनु ठाकुर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. इन दोनों नेताओं को राज्य मंत्री बनाया गया है. ठाकुर नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे.
मजूमदार और ठाकुर को मंत्री पद देकर बीजेपी ने बंगाल के दोनों क्षेत्रों को साधने की कोशिश की है. ठाकुर दक्षिण बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव सीट से दूसरी बार सांसद बने हैं. मतुआ समुदाय बंगाल का प्रमुख दलित समुदाय है. वहीं मजूमदार उत्तर बंगाल से आते हैं. बीजेपी ने उत्तर बंगाल की आठ में से छह पर जीत दर्ज की है. इसी वजह से लगातार बलूरघाट से लगातार दूसरी बार सांसद बने मजूमदार को मंत्री पद से नवाजा गया है.
हरियाणा में विधानसभा चुनाव पर है बीजेपी की नजर
वहीं अगर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा की बात करें तो मौदी कैबिनेट में यहां के तीन सदस्यों को कैबिनेट में जगह मिली है. इनमें एक कैबिनेट मंत्री, एक राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और एक राज्य मंत्री हैं.10 सांसदों में वाले हरियाणा में बीजेपी केवल पांच सीट ही जीत पाई है. इनमें से तीन लोगों को मंत्री बना दिया गया है.
हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी ने 2014 और 2019 में राज्य की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन 2024 में उसे केवल पांच सीटें ही मिल पाई हैं. इससे बीजेपी चिंतित है, खासकर तब जबू वहां इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने दो ओबीसी और एक पंजाबी की मंत्रिमंडल में जगह दी है. राज्य के मुख्यमंत्री नवाब सैनी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं. ऐसे में बीजेपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए ओबीसी का खूब ख्याल रख रही है. बीजेपी की ये कोशिशें कितनी कामयाब हो पाती हैं, इसका पता विधानसभा चुनाव के नतीजे देंगे, क्योंकि बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है. इस बार कांग्रेस ने 10 में से पांच सीटें जीतकर बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.
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