कैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्टार प्रचारक बन गईं कल्पना सोरेन, कितना जुटा पाएंगी वोट

लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रचार की कमान कल्पना सोरेन ने संभाली. वो खुद भी गांडेय विधानसभा सीट से उम्मीदवार थीं. उन्होंने यह चुनाव 26 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीता. इस चुनाव के बाद कल्पना सोरेन एक नेता के तौर पर उभरी हैं.

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नई दिल्ली:

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल जनवरी में गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हेमंत की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन मुर्मु राजनीति में नजर आने लगीं. धीरे-धीरे कल्पना सोरेन राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हो गईं. आज वो झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्टार प्रचारक हैं. उनकी डिमांड पूरे प्रदेश में हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में उनका कार्यक्रम ले रहे हैं. 

राजनीति में कल्पना सोरेन

हेमंत सोरेन को अपनी गिरफ्तारी की चिंता बहुत पहले से सता रही थी. इसलिए उन्होंने अपने जेल जाने के बाद पैदा होने वाले हालात को संभालने के लिए अपने उत्तराधिकारी की तलाश तेज कर दी थी. उन्हें अपनी पत्नी में अपना उत्तराधिकारी नजर आया. इसी के साथ कल्पना सोरेन को चुनाव में उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई. इसी क्रम में झामुमो विधायक सरफराज अहमद ने गांडेय सीट से इस्तीफा दिया, जिससे कल्पना वहां से उपचुनाव लड़ कर विधानसभा में पहुंच सके.

हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चंपाई सोरेन को बैठाया गया. लोकसभा चुनाव के साथ ही गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया. यह चुनाव कल्पना सोरेन ने हेमंत की गैर मौजूदगी में लड़ा और जीता. इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार भी किया. इसका परिणाम यह हुआ कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी सीटों पर जीत दर्ज की.

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कल्पना सोरेन का आत्मविश्वास

इस चुनाव ने कल्पना सोरेन में आत्मविश्वास पैदा किया. इससे वो पार्टी की एक मजबूत नेता बनकर उभरीं. आज वो अपनी पार्टी की स्टार प्रचारक हैं. आज महिलाओं का वोट देश के हर राजनीतिक दल के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. हर पार्टी अपनी योजना महिलाओं को ध्यान में रखकर बना रही है.इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए झारखंड की सरकार और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी 'मइंया सम्मान योजना' शुरू की है. बीजेपी ने 'मइयां सम्मान योजना' के जवाब में 'गोगो दीदी योजना'लेकर आई है. दोनों दल महिलाओं को हर हाल में लुभाना चाहते हैं.

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राज्य के दो करोड़ 59 लाख मतदाताओं में महिला मतदाताओं की संख्या करीब एक करोड़ 26 लाख है. कल्पना सोरेन 'मइयां सम्मान योजना' को लेकर राज्य में होने वाले कार्यक्रमों में जा रही हैं. इस दौरान वो महिलाओं से जुड़ रही हैं. वो महिलाओं से बहुत अच्छे से कनेक्ट कर रही हैं. 'मइयां सम्मान योजना' से जुड़े कार्यक्रमों के पहले चरण में वो अबतक करीब 70 रैलियों में शामिल हो चुकी हैं. इसका अगला चरण 16 अक्तूबर से शुरू होगा. इसमें भी कल्पना सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की दूसरी नेताओं के साथ शामिल होंगी. इसमें भी 70 से अधिक रैलियां होने की उम्मीद है. हालांकि इस बीच चर्चा यह भी है कि चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर सकता है. ऐसे में 'मइयां सम्मान योजना' से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों पर रोक लग सकती है. 

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क्या मांग कर रहे हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता

झामुमो के नेता और कार्यकर्ता इन कार्यक्रमों में कल्पना सोरेन को बुलाने की मांग कर रहे हैं. उन्हें कल्पना सोरेन में भी हेमंत सोरेन जैसा करिश्माई व्यक्तित्व नजर आ रहा है. जिन कार्यक्रमों में वो जाती हैं, वहां वो पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं का पूरा सम्मान करती हैं. वरिष्ठ नेताओं का तो वो पैर भी छूती हैं. इससे लोग उनसे जुड़ते हैं और उन पर कार्यकर्ताओं का भरोसा बढ़ता है.

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कल्पना सोरेन की इस सक्रियता को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता महिला सशक्तिकरण के रूप में भी पेश करते हैं. वो सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या बीजेपी का कोई नेता अपनी पत्नी को इतना महत्व देता है, जितना हेमंत सोरेन दे रहे हैं. लेकिन इन सबके बावजूद सवाल यही बना हुआ है कि कल्पना सोरेन के कार्यक्रमों में आने वाली भीड़ वोट में भी बदल पाएगी. 

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