तीन राज्यों में जीत से कैसे निकले बीजेपी के 3 कांटे?

अगर कांग्रेस इन राज्यों में जीत जाती, तो जैसा कहा जा रहा था, वो जातिगत जनगणना, जाति के आधार पर आरक्षण में हिस्सेदारी और पुरानी पेंशन योजना पर आंदोलन को और तेज करती.

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नई दिल्ली:

विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में बीजेपी को शानदार जीत मिली है. हिंदी क्षेत्र के इन तीन प्रदेशों में मिली जीत के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अहम मुद्दों पर कांग्रेस की हवा निकाल दी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन मुद्दों पर लगातार जोर दिया है. वो हैं जातिगत जनगणना, जाति के आधार पर आरक्षण में हिस्सेदारी और पुरानी पेंशन योजना. ये तीनों मुद्दे ऐसे थे, जिनसे कांग्रेस को उम्मीद थी कि इससे ना सिर्फ विधानसभा चुनाव में शानदार जीत मिलेगी, बल्कि ये मुद्दे अगले लोकसभा चुनाव में भी जीत की गारंटी बन सकते हैं.

जाति के आधार पर आरक्षण का समर्थन कर्नाटक में कांग्रेस के काम आया था. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया था. अगर ये मुद्दे इन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में जाते तो निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव में भी ये मुद्दे जोर-शोर से उठते. लेकिन चुनावों के नतीजे आने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये साफ कर दिया था कि उनके लिए जाति का पैमाना गरीब, युवा, महिलाएं और किसान हैं.

दरअसल कांग्रेस के उठाए ये मुद्दे ही बीजेपी के लिए जीत की राह में कांटा बन रहे थे. लेकिन जीत की हैट्रिक से उसने राहत की सांस ली होगी. जातिगत जनगणना की राजनीति ने बीजेपी के लिए धर्मसंकट की स्थिति पैदा कर दी थी. सबसे पहले बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को उठाया और प्रदेश में जातिगत जनगणना भी कराई.

लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी ही इस मुद्दे पर बढ़-चढ़कर बोलते रहे. उन्होंने वादा किया कि जहां-जहां उनकी सरकार बनेगी, वहां-वहां जातिगत जनगणना होगी. उन्होंने ब्यूरोक्रेसी में भी ओबीसी के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया था.

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अगर कांग्रेस इन राज्यों में जीत जाती, तो जैसा कहा जा रहा था, वो इस आंदोलन को और तेज करती. विधानसभा चुनावों के दौरान जातिगत जनगणना पर बीजेपी के तेवर थोड़े मुलायम भी पड़े.

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राजस्थान में कांग्रेस ने तो दूसरी बार सरकार बनने पर ओपीएस को पक्का करने की गारंटी दी थी. कांग्रेस को उम्मीद थी कि इससे कम से कम 50 सीटें उनके पक्ष में जा सकती है. इसीलिए खुद राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने इसे बार-बार चुनावी मुद्दा बनाया.

अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की रणनीति यही होगी कि अगली बार उन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाए जो बीजेपी के मुफीद हो.

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