शिवसेना के बागी नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने गुरुवार की शाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के उपमुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. ऐसे में चर्चाओं का दौर शुरु हो गया कि आखिर सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी ने ऐसा क्यों किया? एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे पार्टी की क्या रणनीति है? क्या देवेंद्र केंद्र की राजनीति में जाएंगे? ऐसे कई सवाल थे जो राज्य की सियासी गलियारों में तैरने लगे. ऐसे में यहां समझें कि बीजेपी को एकनाथ को मुख्यमंत्री बनाने से कौन से फायदे हैं.
'सत्ता पाने के लिए बगावत को समर्थन नहीं'
दरअसल, शिवसेना में बगावत बाद लगातार महाराष्ट्र बीजेपी पर आरोप लग रहे थे कि पार्टी ने राज्य में सत्ता पाने के लिए एकनाथ के साथ मिलकर पूरे बगावत की पटकथा लिखी है. राज्य में जारी सियासी संकट के बीच उद्धव ठाकरे ने कहा था, "अगर मैं इस्तीफा देता हूं, तो क्या आप गारंटी दे सकते हैं कि मुख्यमंत्री शिव सैनिक होंगे?" ऐसे में शीर्ष पद के लिए ऑटो चालक से मंत्री बने शिंदे का नाम लेकर, बीजेपी ने उन बयानों को खारिज करने की कोशिश की है, जिसमें ये कहा गया कि वो सत्ता की भूखी है.
वहीं, एकनाथ शिंदे जिन्होंने बार-बार उद्धव ठाकरे द्वारा वैचारिक रूप से विपरीत दलों के साथ गठबंधन करके शिवसेना की हिंदुत्व विचारधारा को कमजोर करने की शिकायत की है, को फिलहाल शिवसेना के प्रमुख चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही वे एक मराठा विधायक हैं. ऐसे में उन्हें शीर्ष पद देना महाराष्ट्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में बीजेपी के लिए एक बोनस है.
अस्थिर करने का आरोप लगा था
इन कारणों के इतर बीजेपी का उपमुख्यमंत्री पद पर होना भी पार्टी के फायदेमंद हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी पर राज्य की राजनीति को केवल सत्ता पाने के लिए अस्थिर करने का आरोप लगा था. लेकिन मुख्यमंत्री पद ना संभाल कर पार्टी ने स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि उन्हें सत्ता का लोभ नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ये संदेश देना चाहती है कि वो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार है. गौरतलब है कि आने वाले दिनों में, शिंदे खेमे के उद्धव ठाकरे के खिलाफ पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए लड़ने की उम्मीद है, जिनके पिता बाल ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की थी. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी ये पेश करने के उद्देश्य में सफल रहेगी कि महाराष्ट्र सत्ता परिवर्तन की लहर है.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी चाहती है कि शिवसेना पर एकनाथ शिंदे का पूरा नियंत्रण हो. इसके पीछे की रणनीति शिवसेना को ठाकरे परिवार से दूर ले जाने की है. जिस दिन से इसकी स्थापना हुई थी, शिवसेना ठाकरे परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है. ठाकरे ने पार्टी से पूर्ण समर्पण का आदेश दिया, और उनकी बात अंतिम थी.
बीजेपी का बदला पूरा हो गया
मालूम हो कि साल 2019 में, बीजेपी अपने सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव जीतने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी. उद्धव ठाकरे ने गठबंधन खत्म कर एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला कर बीजेपी को चौंका दिया. ऐसे में जैसे ही एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, बीजेपी का बदला पूरा हो गया.
बीजेपी ने अब उद्धव ठाकरे की जगह एक अधिक अधीनस्थ एकनाथ शिंदे को ले लिया है, जो सत्ताधारी पार्टी के प्रति वफादार और अधिक लचीला होगा. सत्ता के केंद्र के रूप में ठाकरे के बिना एक कमजोर नेता, एक समय में अकल्पनीय था. इससे महाराष्ट्र में बीजेपी का काम और आसान हो गया है. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अब महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस से सीधी टक्कर में है, शिवसेना से नहीं.
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