संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान संकट पर भारत ने कहा कि 'उम्मीद है स्थिति जल्द ठीक होगी'. साथ ही कहा कि, "एक समावेशी व्यवस्था है जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है. वहीं, भारत के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों, विदेश नीति से जुड़े प्रतिष्ठानों और वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने सोमवार को वहां तेजी से बिगड़ते हालात की समीक्षा की. इस समीक्षा बैठक से संबंधित जानकारों ने बताया कि रविवार की रात को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां तेजी से बिगड़ते हालात के मद्देनजर सरकार की प्राथमिकता अफगानिस्तान में फंसे लगभग 200 भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाना है. इनमें भारतीय दूतावास के कर्मी और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोलते हुए, भारत ने यह भी कहा, 'अफगान महिलाओं की आवाज, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए. एक व्यापक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को अधिक स्वीकार्यता और वैधता हासिल करने में मदद करेगा.'
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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान के लड़ाके काबुल में घुस गए. इसके साथ ही दो दशक लंबे उस अभियान का आश्चर्यजनक अंत हो गया जिसमें अमेरिका और उसके सहयोगियों ने देश में बदलाव लाने की कोशिश की थी.
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