अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस बार CRPF की बजाय ITBP को क्यों दी गई?

3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा की सुरक्षा की जिम्मेदारी पारंपरिक रूप से सीआरपीएफ के पास ही रहती थी. इस बार यह जिम्मेदारी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस को दी गई है. इस बार अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव मणिपुर हिंसा की वजह से भी हुआ है.

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अमरनाथ यात्रा इस वर्ष 1 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगी.
नई दिल्ली:

इस साल की अमरनाथ यात्रा (Amarnath yatra 2023)को लेकर मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने समीक्षा बैठक की. गृह मंत्रालय ने अमरनाथ यात्रा को लेकर बेहतर सुरक्षा प्रबंधन के लिए इस साल तैनाती परिवर्तन को अंतिम रूप दे दिया है. इस साल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के बजाय भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों को गुफा मंदिर की सुरक्षा का काम सौंपा गया है. मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (Shree Amarnath Shrine Board) के सुझावों के आधार पर ये फैसला लिया है.अमरनाथ यात्रा इस वर्ष 1 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगी. 

नॉर्थ ब्लॉक में हुई इस बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव अजय भल्ला ने की. इसमें सभी केंद्रीय पुलिस बलों के प्रमुख, खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के बड़े अधिकारी और अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जुड़े वरिष्ठ लोगों के मौजूद रहे.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने मुद्दों और जरूरतों को मीटिंग में सामने रखा था. उनपर गौर करने के बाद विभिन्न सीएपीएफ को नई तैनाती सौंपी गई." उन्होंने कहा कि आईटीबीपी ने पिछले साल अचानक आई बाढ़ के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

मणिपुर हिंसा का भी असर
इस बार अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव मणिपुर हिंसा की वजह से भी हुआ है. 3 मई से हिंसाग्रस्त मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम करने, पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में भारी संख्या में सीआरपीएफ जवानों की तैनाती की वजह से इस बार यात्रा में आईटीबीपी और बीएसएफ के जवानों को लगाया गया है.

सूत्र यह भी बताते हैं कि इस बार उत्पन्न सुरक्षा खतरों, चुनौतियों जम्मू-कश्मीर पुलिस की जरूरत के मद्देनजर आईटीबीपी जवानों को गुफा के पास तैनात करने का फैसला किया गया है. ज्ञात हो कि साल 2022 में 3.45 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे. इस बार अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''आईटीबीपी के जवान ज्यादातर पर्वतीय जगहों पर तैनात रहते है. ऐसे में वो प्राकृतिक आपदाओं के लिए ट्रेंड रहते हैं.'' साल 2022 में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई थी, जिसमें गुफा की तलहटी में कई लोगों की जान चली गई थी. ऐसे में आईटीबीपी के जवानों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए कई लोगों को बचा लिया था.

एनडीआरएफ भी रहेगी तैनात
हालांकि, अमरनाथ यात्रा के दौरान अचानक आने वाली बाढ़ और ग्लेशियर विस्फोट की स्थिति में लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ को तैनात किया गया है. उन्होंने अधिकारियों को तीर्थयात्री शिविरों के निर्माण के लिए स्थानों की पहचान करने में मदद की है.

पिछले साल बाढ़ में गई थी 16 की जान
पिछले साल 8 जुलाई को मंदिर के पास भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई थी. इस साल ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के हेलीकॉप्टरों को पवित्र गुफा की ऊपरी पहुंच में नियमित रूप से हवाई उड़ान भरने के लिए कहा गया है.

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13-70 साल की उम्र के लोगों का रजिस्ट्रेशन
गाइडलाइंस के मुताबिक, 13 से 70 साल की उम्र के लोग अमरनाथ यात्रा के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। सभी तीर्थ स्थलों के लिए हेल्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य है. वहीं 6 हफ्ते या उससे ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाओं को यात्रा करने की अनुमति नहीं है. ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पंजाब नेशनल बैंक की 316, SBI बैंक की 99, जम्मू-कश्मीर की 90 और यस बैंक की 37 ब्रांच में किया जा सकता है. श्रद्धालु श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर यात्रा के लिए ऑनलाइन अप्लाई भी कर सकते हैं.

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