68 साल के आसिफ अली जरदारी (Asif Ali Zardari) हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए हैं. वे इस इस्लामी मुल्क के दूसरी बार राष्ट्रपति बने हैं. उनकी पत्नी बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में हत्या हो गई थी...इससे 34 साल पहले उनके ससुर जुल्फिकार अली भुट्टो को सैन्य शासन ने फांसी दे दी थी...खुद जरदारी की एक बार बाईपास सर्जरी हो चुकी है. ये ब्यौरे सुनकर यदि आप जरदारी के प्रति सहानुभूति रखने लगे हैं तो जरा ठहरिए...जरदारी के Resume में बहुत कुछ ऐसा है जिसको जानने के बाद शायद आपके माथे पर बल पड़ जाए कि ऐसा शख्स कैसे किसी मुल्क का राष्ट्रपति बन सकता है? लेकिन पाकिस्तान की सियासत में सबकुछ मुमकिन है...जी हां- पाकिस्तान के इस प्रथम नागरिक के पास अपने ही साले का कत्ल करवाने, एक बड़े कारोबारी की किडनैपिंग कराने, विमान हाईजैक करने और व्यापक पैमाने पर करप्शन करने की वजह से मिस्टर 10 पर्सेंट कहलाने जैसे तमगे हैं...NDTV इतिहास की नई कड़ी में हम बात करेंगे पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की.
वो तारीख दी 26 मार्च 1991...आसमान में चटख धूप खिली हुई थी. मलेशिया के कुआलालंपुर से सिंगापुर एयरलाइंस का विमान उड़ा. विमान में 114 यात्रियों और 11 चालक दल के सदस्य सवार थे. विमान को सिंगापुर चांगी हवाई अड्डे पर उतरना था इससे पहले ही उसका चार पाकिस्तान आतंकियों ने अपहरण कर लिया. अपहरणकर्ता विस्फोटकों और चाकुओं से लैस थे लेकिन उनके पास कोई पिस्तौल वैगरह नहीं था. अपहर्ताओं ने खुद को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का सदस्य बताया और धमकी दी कि यदि पाकिस्तान की पूर्व प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो के पति, आसिफ अली जरदारी को जेल से रिहा नहीं किया गया तो वे सभी बंधकों को मार डालेंगे. किडनैपर्स की धमकी के बाद मलेशिया से लेकर सिंगापुर तक हड़कंप मच गया. किडनैपर्स ने कहा- यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो मियाद खत्म होने के बाद हर 10 मिनट में एक यात्री की हत्या कर दी जाएगी. लेकिन अल्टीमेटम का वक्त खत्म होता उससे पहले ही सिंगापुर की कमांडो फोर्स ने विमान पर हमला किया और सारे किडनैपर्स को ढेर कर दिया. इस तरह विमान तो किडनैपर्स से मुक्त हो गया लेकिन जरदारी पाकिस्तान के जेल में ही पड़े रहे. हालांकि इस घटना की चर्चा पूरी दुनिया में हुई. जांच हुई लेकिन जरदारी के साथ इन आतंकियों का सीधा कनेक्शन सामने नहीं आया...
दूसरा किस्सा सितंबर 1989 का है- पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक 55 वर्षीय मुर्तजा हुसैन बुखारी लंदन से कराची आए थे. इसी दौरान उनकी आसिल अली जरदारी से मुलाकात हुई...बातों ही बातों में जरदारी ने अपने अस्पताल बनाने के प्रोजेक्ट का जिक्र किया और मुर्तजा से सहायता मांगी. मुर्तजा ने उस समय इनकार कर दिया. जिसके कुछ दिनों बाद मुर्तजा का सरेआम अपहरण कर लिया गया और बुरी तरह पीटा गया. इसके बाद उसके पैरों में बम बांध कर बैंक भेज दिया गया. बम का रिमोट कंट्रोल अपहरकर्ताओं के हाथ में था. इसके बाद मुर्तजा से 500,000 डॉलर निकलवाए गए. बाद में इस मामले में आसिफ अली जरदारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जांच की तो जरदारी के खाते में फिरौती की रकम मिली. इस केस में पहले तो जरदारी दोषी करार दिए गए फिर सरकार बदलने पर वे बरी भी हो गए.
तीसरा किस्सा है- 20 सितंबर 1996 का है...पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बेटे और बेनजीर भुट्टे के भाई मुर्तजा भुट्टो कराची में किसी काम से बाहर निकले थे...इसी दौरान उनके घर के पास ही उन्हें 6 लोगों ने घेरकर गोली मार दी...कुछ लोग इसे पुलिस एनकाउंटर भी कहते हैं. हालांकि इस हत्याकांड में आसिफ अली जरदारी को गिरफ्तार कर लिया गया.
उनपर केस चला और वे कई सालों तक जेल में रहे. हालांकि साल 2004 में उन्हें रिहाई मिल गई. बता दें कि मुर्तजा ने अल-जुल्फिकार नाम के संगठन की स्थापना की थी और वे बेनजीर और उनके पति आसिफ अली जरदारी के कट्टर आलोचक थे. इसके अलावा जरदारी का Resume जब आप बनाएंगे तो बिना मिस्टर 10 % वाले किस्से के आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे. दरअसल जब पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने साल 1993 का चुनाव जीता तो जरदारी अपनी पत्नी बेनजीर भुट्टो के साथ इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री आवास में चले गए, जहां वे अगले तीन सालों तक रहे. ऐसा कहा जाता है कि तब पूरे पाकिस्तान में किसी भी प्रोजेक्ट या फिर लोन की मंजूरी के लिए जरदारी 10 फीसदी कमीशन चार्ज करते थे. उस समय भुट्टो-जरदारी दंपती पर ब्रिटेन के सरे में एक विशाल लक्जरी संपत्ति खरीदने के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगा था. यही वजह से उन्हें 'मिस्टर 10%' तक कहा जाने लगा.
इतना ही नहीं 1990 के दशक में बेनजीर के दूसरे कार्यकाल के दौरान उनके कॉमर्स मिनिस्टर अहमद मुख्तार ने उनसे कहा था- पाकिस्तान में जरदारी के खिलाफ गलत प्रचार हो रहा है. हमें इससे बदनामी मिल रही है. अगली बार जब आप प्रधानमंत्री बनें तो अपने पति को अर्जेंटीना में पोलो खेलने भेज दीजिएगा.जरदारी पाकिस्तान में इतने बदनाम हो चुके थे कि बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद भी 2008 में चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने उन्हें चुनाव प्रचार से दूर रखा था.जरदारी 11 साल से अधिक वक्त तक जेल में बता चुके हैं. यही वजह है कि जब आसिल अली जरदारी पहली बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने तो दुनिया भर की मीडिया में सुर्खियां लगीं--मिस्टर टेन परसेंट पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति बने.