भाईचारे की मिसाल : परवेज के घर सजा पूजा चौरसिया की शादी का मंडप, धूमधाम से शादी 

परवेज की बीवी नादिरा ने कहा, पूजा की मां बचपन में अक्सर उनके घर पर ही रहती थीं और उन्हें परिवार की सदस्य माना जाता था. अब पूजा की शादी थी. उस नाते अपना फर्ज भी निभाना जरूरी था.

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UP के आजमगढ़ जिले में भाईचारे की नई मिसाल देखने को मिली (प्रतीकात्मक)
आजमगढ़ :

नफरती हिंसा और भड़काऊ बयानों के बीच ऐसी खबरें भी सामने आती हैं, जो भाईचारे और सदभाव की मिसाल कायम कर जाती हैं. ऐसा ही कुछ यूपी के आजमगढ़ जिले में हिन्दू-मुस्लिम एकता (Hindu-Muslim brotherhood) का ऐसा ही वाकया देखने को मिला. जहां आजमगढ़ शहर के एलवल मोहल्ले के निवासी परवेज के घर पड़ोसी राजेश चौरसिया की भांजी की शादी का मंडप सजा और पूरे हिंदू रीतिरिवाज से के साथ विवाह संपन्न हुआ. दरअसल, राजेश चौरसिया की भांजी पूजा की शादी तय हुई थी. पूजा के पिता की दो साल पहले कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी. छोटे से घर में रहने वाले राजेश के सामने मुश्किल यह थी कि शादी किस स्थान पर की जाए. राजेश की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि वह किसी भांजी की शादी के लिए मैरिज हॉल का प्रबंध कर सकें.

राजेश ने ये समस्या अपने पड़ोसी परवेज को बताई और उनके घर के आंगन में शादी का मंडप सजाने की बात कही, तो परवेज तुरंत राजी हो गए. शादी की तय तारीख 22 अप्रैल को परवेज के आंगन में मंडप सजाया गया और परवेज के घर की महिलाओं ने भी मंगल गीत गाए. शादी वाले दिन शाम को जौनपुर जिले के मल्हनी इलाके से भांजी की बारात परवेज के दरवाजे पहुंची तो दोनों परिवारों ने द्वारचार की रस्म अदा की. उसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सभी वैवाहिक रस्में अदा की गई और शुभ विवाह संपन्न हुआ. रमजान के पवित्र महीने में इंसानियत की मिसाल पेश करती पहल के दौरान परवेज और राजेश के परिवार की महिलाएं देर रात तक शादी के मंगल गीत गाती रहीं.

राजेश ने बताया कि सुबह बारात विदा होने से पहले खिचड़ी की रस्म शुरू हुई तो उन्होंने अपनी सामर्थ्य के हिसाब से वर पक्ष को तोहफे दिए. इसी रस्म के दौरान परवेज ने दूल्हे को सोने की जंजीर पहनाई. इसके बाद बारात वधु को लेकर विदा हो गई. परवेज की बीवी नादिरा ने कहा, पूजा की मां बचपन में अक्सर उनके घर पर ही रहती थीं और उन्हें परिवार की सदस्य माना जाता था. अब पूजा की शादी थी. उस नाते अपना फर्ज भी निभाना जरूरी था.

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नादिरा ने कहा कि ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कि पूजा और उसकी मां हमारे घर की बेटियां हैं, बल्कि इसलिए भी कि इंसानियत का यही तकाजा था. उन्होंने कहा कि हमारे धर्म भले अलग-अलग हों, लेकिन इंसानियत सबसे बड़ी चीज है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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