हरियाणा : देशद्रोह के केस का विरोध, किसानों ने गिराए बैरिकेड्स

हरियाणा के सिरसा में किसानों का विरोध प्रदर्शन, प्रदर्शनकारी पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव करने की भी योजना बना रहे

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हरियाणा के सिरसा में विरोध प्रदर्शन करते हुए किसान.
सिरसा (हरियाणा):

हरियाणा के सिरसा में आज दोपहर में किसानों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स गिरा दिए. किसानों ने देशद्रोह के एक मामले और उसके बाद हुई गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है. अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती के बावजूद किसान प्रदर्शन जारी रखे हैं. बीजेपी नेता और हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा पर रविवार, 11 जुलाई को कथित रूप से हमला किया गया. इस मामले में  किसानों पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. गुरुवार की सुबह पुलिस ने छापेमारी करके पांचों किसानों को गिरफ्तार कर लिया.

दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर दूर स्थित सिरसा हाई अलर्ट पर है. किसान नेता गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग कर रहे हैं. वे पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव करने की भी योजना बना रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत के भी किसानों के धरने में शामिल होने की संभावना है. 

रविवार को विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध के दौरान बीजेपी के रणबीर गंगवा पर कथित रूप से हमला किया गया था और उनके आधिकारिक वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.

हरियाणा में सौ से अधिक किसानों को देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें से पांच को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया. ऐसा माना जाता है कि नवंबर के अंत से विवादास्पद कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर पहली बार देशद्रोह का आरोप लगाया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस सप्ताह की शुरुआत में जारी एक बयान में देशद्रोह के आरोपों की निंदा की थी. मोर्चा ने इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही थी. मोर्चा ने कहा था कि "एसकेएम हरियाणा की किसान विरोधी भाजपा सरकार के निर्देशों पर किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ लगाए गए झूठे, तुच्छ और मनगढ़ंत देशद्रोह के आरोपों और अन्य सभी आरोपों की कड़ी निंदा करता है."

किसानों की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून को "औपनिवेशिक" बताते हुए इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाया है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने इस सप्ताह की शुरुआत में सवाल किया था कि "देशद्रोह कानून एक औपनिवेशिक कानून है. क्या हमें आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश को इस कानून की जरूरत है?"

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अदालत ने कहा था "विवाद यह है कि यह एक औपनिवेशिक कानून है ... इसी कानून का इस्तेमाल अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को चुप कराने और स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए किया था. क्या आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश में क़ानून की किताब यह कानून आवश्यक है?"

हरियाणा में, सत्तारूढ़ भाजपा-जननायक जनता पार्टी गठबंधन को विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर कई विरोधों का सामना करना पड़ा है.

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