"उद्धव ठाकरे, शिवसेना सिंबल फाइट क्यों हारे...?" जानिए, इस पर असम के CM हिमंत सरमा की गजब थ्योरी

निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव निशान ‘धनुष बाण’ को भी उसे आवंटित कर दिया था. यह फैसला ठाकरे के लिए झटका है क्योंकि उनके पिता बाल ठाकरे ने वर्ष 1966 में इस पार्टी की स्थापना की थी.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
महाराष्ट्र में विपक्ष को शिव जी के नाम पर राजनीति करना बंद कर देना चाहिए
नई दिल्‍ली:

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक धार्मिक स्थल को लेकर महाराष्ट्र और असम के बीच चल रहे विवाद का हवाला देते हुए कहा है कि उद्धव ठाकरे ने "भगवान पर राजनीति के कारण" शिवसेना का नाम और प्रतीक खो दिया है. दरअसल, दोनों राज्यों के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि छठा ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर कहां स्थित है? ये भगवान शिव के बारह सबसे पूजनीय स्थानों में से एक है. 

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "शिव जी हिमालय में निवास करते हैं, उन्हें किसी विशेष स्थान तक सीमित करना सही नहीं है. महाराष्ट्र में विपक्ष को शिव जी के नाम पर राजनीति करना बंद कर देना चाहिए. यही कारण है कि शिवसेना (उद्धव गुट) ने अपना प्रतीक खो दिया."

गुवाहाटी के पमोही में 'भीमाशंकर धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर' की यात्रा के दौरान, सरमा ने कहा कि 'भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग' का आगमन 'शिव पुराण' के अनुसार 'कामरूप प्रदेश' में हुआ था. बता दें कि असम सरकार के एक विज्ञापन पर आपत्ति जताते हुए महाराष्ट्र के नेताओं ने हाल ही में एक विवाद खड़ा कर दिया था.

हिमंता सरमा ने कहा, "किसी भी विवाद की कोई आवश्यकता नहीं है. भगवान शिव भारत में हर जगह हैं और यह भारतीय 'सनातनी' संस्कृति की ताकत को दर्शाता है. यह भीमाशंकर मंदिर यहां हजारों वर्षों से है."

बता दें कि निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव निशान ‘धनुष बाण' को भी उसे आवंटित कर दिया था. यह फैसला ठाकरे के लिए झटका है क्योंकि उनके पिता बाल ठाकरे ने वर्ष 1966 में इस पार्टी की स्थापना की थी. शिवसेना की कमान ठाकरे परिवार के हाथों से चली गई है. लगभग 57 साल में यह पहली बार हुआ है.

Featured Video Of The Day
Mirapur By-Election Clash: SHO ने क्यों तानी Pistol । Viral Video की Inside Story