असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि पिछले महीने असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई, जिसको लेकर विवाद हुआ, सांप्रदायिक नहीं थी और मुसलमानों और हिंदुओं को लगभग बराबर अनुपात में गिरफ्तार किया गया था. असम विधानसभा के बजट सत्र में उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाई हर छह महीने में होगी. राज्य सरकार का लक्ष्य 2026 तक बाल विवाह को खत्म करना है. उन्होंने कहा कि 3 फरवरी के बाद से कार्रवाई में मुसलमानों और हिंदुओं की गिरफ्तारी का अनुपात 55:45 है.
सरमा ने एक चर्चा के जवाब में कहा, "मैंने अपने कुछ लोगों को भी उठाया है, क्योंकि आप (विपक्षी सदस्य) सभी को बुरा लगेगा. 3 फरवरी की कार्रवाई के बाद से मुसलमानों और हिंदुओं की गिरफ्तारी का अनुपात 55:45 है." सरमा राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा ले रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग 'अपराधियों के लिए रो रहे हैं' लेकिन 11 साल की लड़कियों के गर्भवती होने पर नहीं रो रहे हैं.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, "राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 5) के आंकड़ों से पता चलता है कि समस्या धुबरी और दक्षिण सलमारा (मुस्लिम बहुल जिले) में सबसे ज्यादा है, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया में नहीं. लेकिन क्योंकि आप हर एक चीज को सांप्रदायिक बना देते हैं, मैंने डिब्रूगढ़ के पुलिस अधीक्षक से कहा कि वहां से भी कुछ उठाएं. एनएफएचएस 4 के कांग्रेस के समय के आंकड़ों को देखें तो यह भी पता चलता है कि असम के निचले जिलों (जहां मुस्लिम आबादी अधिक है) में कम उम्र में सबसे ज्यादा शादियां और बच्चे पैदा किए जाते हैं."
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि बाल विवाह के अधिक मामले दक्षिण सलमारा और धुबरी से हैं, लेकिन उन्होंने डिब्रूगढ़ के एसपी से जिले से भी दो-तीन लेने के लिए कहा, "क्योंकि इसे सांप्रदायिक बनाया जा रहा है."
सरकार पर दो अधिनियमों का उपयोग करके लोगों को आतंकित करने का आरोप
विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 (PCMA) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) लागू करने का विरोध किया है. कांग्रेस विधायक अब्दुर रशीद मंडल ने हाल ही में विधानसभा में आरोप लगाया था कि असम सरकार दो अधिनियमों का उपयोग करके लोगों को "आतंकित" कर रही है.
विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा था कि बाल विवाह के आरोपियों पर पोक्सो और बलात्कार के मामलों ने समाज में गड़बड़ी पैदा कर दी है और कई बूढ़े लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है.
निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई के एक प्रश्न पर असम के मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधानसभा में बताया था कि अप्रैल 2021 से फरवरी 2023 तक राज्य में बाल विवाह की 4,111 घटनाएं हुईं.
उन्होंने कहा, "7,142 आरोपियों के खिलाफ कुल 4,670 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 3,483 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 1,182 जेल में हैं और 2,253 को जमानत मिली है. अन्य 48 को नोटिस जारी किए गए हैं."
सरमा ने विधायकों को यह भी बताया कि सरकार ने बाल विवाह से पैदा हुए बच्चों की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. हालांकि उन्होंने कहा कि अगर किसी बच्चे को देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है तो कदम उठाए जाएंगे.