किसी ने खोया मकान, किसी की गिर गई दुकान... बारिश-बादल फटने से हिमाचल के थुनांग में बड़ी तबाही, NDTV ग्राउंड रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश में मंडी से करीब 60 किमी दूर थुनांग कस्‍बे में बादल फटने से बड़ी तबाही हुई है, जिस बाजार में हजारों लोग खरीददारी करते थे और लाखों का कारोबार होता था, आज वहां पर दरिया बह रहा है.

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भारी बारिश और बादल फटने से मंडी के थुनांग में भारी तबाही देखने को मिली है.

मंडी:

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भारी बारिश के कारण अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग लापता हैं. मंडी के थुनांग में भारी तबाही देखने को मिली है. यहां पर दस लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों की संख्‍या में मकान और दुकान बह गए हैं. हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्‍ला जमीनी हालात जानने के लिए मौके पर पहुंचे हैं. एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट में लोगों ने अपना दर्द बयां किया है. 

मंडी से करीब 60 किमी दूर थुनांग कस्‍बे का जायजा लेने सांसद कंगना रनौत और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहुंचे. बादल फटने से तबाही ऐसी हुई कि जिस बाजार में हजारों लोग खरीददारी करते थे और लाखों का कारोबार होता था, आज वहां पर दरिया बह रहा है. बादल इस इलाके में 30 जून की रात को फटा. सड़क बह जाने की वजह से तीन तक राहत नहीं पहुंच पाई. अब सड़क ठीक की जा रही है, लेकिन पानी और बिजली की किल्‍लत इलाके में बनी हुई है.  

5 किलो राशन के लिए दर-दर भटकने की मजबूरी

बादल फटने की वजह से किसी ने अपना भाई खोया तो किसी ने मकान और दुकान. 75 साल की अंतो देवी और 100 साल की उनकी मां जिंदा हैं, जबकि उनके देवर की बादल फटने से मौत हो गई. अब वह 5 किलो राशन के लिए दर-दर भटक रही है. 

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बादल फटने से इलाके के ज्‍यादातर घर बुरी तरह तबाह हुए हैं. एक समय 30-35 गांव के हजारों लोगों से बाजार भरा रहता था, लेकिन आज भूतों के शहर में तब्‍दील हो चुका है.  किसी की दुकान बह गई तो किसी का मकान. आर्थिक मदद के नाम पर केवल पांच हजार रुपये की घोषणा हुई है.  

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तीन बार आया पानी, लेकिन नहीं समझ सके संकेत

एक महिला ने बताया कि मेरी ब्‍यूटी पार्लर की दुकान थी, वह बह गई. बच्‍चे पढ़ रहे हैं और दुकान से ही घर का खर्च चलता था. वहीं दूसरी महिला ने कहा कि मेरी मेरी ज्‍वैलरी की दुकान थी. जब यहां पर आई तो देखा कि पानी ही पानी है, किसी तरह से जान बचाई है. बहुत ही नुकसान हुआ है.  

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पहाड़ों पर तेजी से बन रहे पक्के मकान और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की वजह से भी इस प्राकृतिक आपदा का नुकसान बड़ा हो गया है. खुद स्थानीय लोगों के मुताबिक इससे पहले भी तीन बार थुनांग के बाजार में पानी आया था, लेकिन शायद सरकार और स्थानीय लोग इस संकेत को समझने में नाकाम रहे. 
 

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