हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने दूसरे बीजेपी राज्यों की तरह ही सामूहिक धर्मांतरण को लेकर शुक्रवार को एक कानून पारित किया है. इस नए कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर अब 10 साल की जेल तक हो सकती है. पहले ऐसा करने पर सात साल के जेल का प्रावधान था. हिमाचल प्रदेश सरकार ने यह कदम विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर उठाया है. बता दें कि इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा में द हिमाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन (एमेडमेंट) बिल, 2022 को सर्वसम्मति और ध्वनिमत से पारित किया गया है.
इस बिल में सामूहिक धर्मांतरण को परिभाषित किया गया है. कहा गया है कि अगर कोई शख्स दो या उससे ज्यादा लोगों का धर्म एक समय में बदलवाता है तो वो सामूहिक धर्मांतरण की श्रेणी में आएगा और उसपर इसी कानून के तहत मामला चलेगा.
जय राम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार को विधेयक पेश किया. यह हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 का अधिक कठोर संस्करण है, जो बमुश्किल 18 महीने पहले लागू हुआ था. 2019 अधिनियम को राज्य विधानसभा में पारित होने के 15 महीने बाद 21 दिसंबर, 2020 को अधिसूचित किया गया था. 2019 संस्करण ने बदले में 2006 के कानून को बदल दिया था, जिसमें कम दंड निर्धारित किया गया था.