हिमाचल प्रदेश में अयोग्य करार विधायकों की पेंशन बंद, विधानसभा में बिल पारित हुआ

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायक वेतन भत्ते व पेंशन संशोधन विधेयक 2024 पारित हो गया, राज्य के छह अयोग्य ठहराए गए विधायकों की पेंशन होगी बंद : पढ़िए शिमला से वीडी शर्मा की रिपोर्ट

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
शिमला:

हिमाचल प्रदेश में अयोग्य करार विधायकों की अब पेंशन नहीं मिलेगी. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को इस आशय का बिल पारित हो गया. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायकों के वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़ा संशोधन विधेयक 2027 पारित हो गया. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को यह बिल सदन में पेश किया था. आज चर्चा के बाद ध्वनि मत से बिल पारित हो गया. विपक्ष के विधायकों ने इस बिल का विरोध किया और इसे राजनीतिक द्वेष भावना से भरा हुआ संशोधन बताया. विपक्ष ने इसे वापस लेने की बात कही, लेकिन सरकार ने बिल ध्वनि मत से पास करवा लिया. अब यह बिल राज्यपाल की मंजूरी के लिए जाएगा.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जिन विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य करार दिया है उन्हें पेंशन और भत्ते से बाहर किया जाएगा. इससे लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी. जो लोग राजनीतिक लाभ के लिए अपनी पार्टी को धोखा देकर दल बदल देते हैं उनके लिए यह बड़ा सबक होगा और पार्टी बदलने से पहले वह सौ बार सोचेंगे.

गौरतलब है कि 28 फरवरी को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में व्हिप का छह कांग्रेस विधायकों ने उल्लंघन किया था. इसके बाद इन विधायकों की सदस्यता चली गई थी. इनमें सुजानपुर से राजेंद्र राणा, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो और गगरेट से चैतन्य शर्मा शामिल थे. बिल का ज्यादा असर देवेंद्र भुट्टो और चेतन्य शर्मा पर पड़ेगा क्योंकि यह पहली बार विधायक बने थे, जबकि चार विधायक पहले भी विधायक रह चुके हैं. इनमें से दो विधायक उपचुनाव में भाजपा से जीतकर फिर से विधायक बने हैं.

Advertisement

दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को वेतन और 10 सितंबर को पेंशन मिलेगी. हर चुनाव में अहम वोट बैंक माने जाने वाले सरकारी कर्मचारियों की आलोचना और नाराजगी का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को विधानसभा को बताया कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को वेतन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 10 सितंबर को पेंशन मिलेगी. 

Advertisement

उन्होंने केंद्र से 520 करोड़ रुपये मिलने से पहले पांच-छह दिनों तक 7.5 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेने से बचने के लिए वेतन और पेंशन जारी करने में हुई देरी को उचित ठहराया. उन्होंने कहा, "अब वित्तीय विवेकपूर्ण उपाय लागू होने तक विभिन्न विभागों के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का भुगतान क्रमश: हर महीने की 5 और 10 तारीख को किया जाएगा."

Advertisement

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर द्वारा उठाए गए वेतन में देरी के मुद्दे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को वेतन मिलेगा और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 10 सितंबर को पेंशन मिलेगी. 

Advertisement

हालांकि, बोर्ड और निगमों के कर्मचारियों और पेंशनरों को उनके मौजूदा समय के अनुसार वेतन मिलेगा क्योंकि वे अपने संसाधनों से खर्च पूरा करते हैं.

सुक्खू ने कहा कि, वेतन और पेंशन के भुगतान को स्थगित करने से सरकार को हर महीने 3 करोड़ रुपये और कर्ज पर ब्याज के रूप में चुकाए जाने वाले सालाना 36 करोड़ रुपये की बचत होगी. उन्होंने कहा कि राजकोषीय सूझबूझ के तहत कर्ज पर ब्याज के रूप में चुकाए जाने वाले पैसे को बचाने के लिए राजस्व के साथ व्यय को मैप करने का प्रयास किया जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि, "हम वेतन पर हर महीने 1,200 करोड़ रुपये और पेंशन पर 800 करोड़ रुपये खर्च करते हैं, इसलिए हमें इसके लिए हर महीने 2,000 करोड़ रुपये की जरूरत है."

सुक्खू ने स्पष्ट किया, "हमें हर महीने की पहली तारीख को वेतन और पेंशन देना पड़ता है, जबकि 520 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान हर महीने की छठी तारीख को मिलता है. हमें हर महीने की पहली तारीख को वेतन देने के लिए 7.5 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है." 

विपक्षी भाजपा ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा, "कर्मचारी विरोधी निर्णय लेने वाले लोग आज कर्मचारी हितैषी बनने का दिखावा कर रहे हैं. राज्य 2027 में आत्मनिर्भर होगा."

हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि, "वित्तीय अनुशासन पर बात करने में अब बहुत देर हो चुकी है... वे (सुखविंदर सिंह सुक्खू) अपनी कमियों के लिए पिछली राज्य सरकार और मौजूदा केंद्र सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं. कौन उन पर विश्वास करेगा?'' 

उन्होंने कहा कि, ''जब तक मैं मुख्यमंत्री था, वेतन और पेंशन का भुगतान समय पर होता था. अब मौजूदा सीएम अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं... अगर राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनकी पेंशन और वेतन मिल सकता है, तो यह केंद्र सरकार की वजह से है. केंद्र सरकार द्वारा राज्य के लिए राजस्व घाटा अनुदान के 550 करोड़ रुपये 6 सितंबर को प्राप्त होंगे, जिसके बाद सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन देगी. 10 सितंबर को केंद्रीय करों में से हमारा हिस्सा हमें दिया जाएगा, जिसके बाद सरकार पेंशन का भुगतान कर सकेगी. इन सबके बीच, वे खजाने के लिए लिए जा सकने वाले ऋण की सीमा को समाप्त कर देंगे..."

यह भी पढ़ें -

''ये सोए हुए देश को जगाने की कीमत'' : इमरजेंसी की रिलीज रुकने पर कंगना रनौत का दर्द

Featured Video Of The Day
TG से पूछें, 50,000 रुपये के अंदर Best New Smartphone? | Gadgets 360 With Technical Guruji