इस साल मार्च में पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर- में विधानसभा चुनाव निपटाने के बाद राजनीतिक पार्टियों की अन्य दो राज्यों पर नजर हैं, जहां इस साल के अंत तक विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं. हिमाचल प्रदेश और गुजरात में नवंबर-दिसंबर में चुनाव हो सकते हैं. दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. और दिलचस्प बात यह भी है कि इन दोनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी मजबूती से अपने पैर जमाने की कोशिशों में लगी हुई है. लेकिन यहां बात हो रही है बीजेपी अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा की, जो पिछले कुछ महीनों में लगातार हिमाचल की यात्राएं कर रहे हैं और राज्य के चुनावों को लेकर अपना फोकस इधर बनाए हुए हैं.
लगातार यात्राएं और बैठकें
जेपी नड्डा हर महीने कम से कम दो से तीन दिन हिमाचल में बिता रहे हैं. पिछले दो महीनों में ही वो दो बार हिमाचल जा चुके हैं और यहां कुल सात दिन बिता चुके हैं. पिछले महीने जब वो हिमाचल गए थे तो 9 से लेकर 12 अप्रैल तक, कुल चार दिन वहां ठहरे थे. उस यात्रा के दौरान उन्होंने शिमला और बिलासपुर में 25 से ज्यादा जगहों पर सार्वजनिक सभाएं और कार्यक्रम किए. इसके बाद 22-23 अप्रैल को वो फिर कांगड़ा पहुंचे थे.
फिलहाल वो राज्य में ही हैं और धर्मशाला व कुल्लू में कुछ जनसभाएं और बैठकें करने वाले हैं. कुल्लू में उनकी एक जनसभा के साथ कुछ पदाधिकारियों के साथ एक बैठक होनी है. वहीं, धर्मशाला में वो भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक को संबोधित करेंगे. कुल्लू के उपचुनावों में बीजेपी हार गई थी, ऐसे में उनकी यह यात्रा अहम है.
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क्यों नड्डा के लिए अहम हैं ये चुनाव
सबसे पहली बात हिमाचल प्रदेश नड्डा का गृहराज्य है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के ताजा विधानसभा चुनावों के नतीजों को छोड़ दें तो इन दोनों राज्यों की तरह ही यहां भी पार्टी सत्ता में रहने के बाद एक बार भी लगातार दोबारा सत्ता हासिल नहीं कर पाई है. यूपी-उत्तराखंड में 1983 के बाद से 2022 तक कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आई है. उसी तरह, हिमाचल में भी 1985 के बाद से किसी भा पार्टी को लगातार दूसरी बार जनादेश नहीं मिला है.
हालांकि यूपी-उत्तराखंड ने इस बार के चुनावों में यह चलन तोड़ दिया और बीजेपी को दशकों बाद लगातार दूसरा कार्यकाल दिया. नड्डा हिमाचल में भी यही इतिहास दोहराना चाहते हैं.
हाल ही में हुए उपचुनावों में बीजेपी की यहां हार हुई थी. ऐसे में विधानसभा चुनावों को लेकर चिंता और बढ़ गई है. अगर बीजेपी की परफॉर्मेंस यहां खराब रहती है तो इससे नड्डा की छवि पर असर पड़ेगा. खासकर तब जब अगले साल की शुरुआत में बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर उनकी दूसरे कार्यकाल पर नजर है. ऐसे में निजी तौर पर भी हिमाचल के चुनाव नड्डा की साख के लिए काफी मायने रखते हैं.
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