हिमाचल के किसान अनिश्चित मौसम की चुका रहे हैं कीमत, 100 करोड़ रुपये की फसल का हुआ नुकसान

राज्य कृषि निदेशक राजेश कौशिक ने कहा कि सर्दियों में गेहूं के बीज की बुआई के बाद लंबे वक्त तक शुष्क मौसम रहा और गर्मियों में फसल की कटाई के वक्त बेमौसम बारिश हुई जिससे राज्य में गेहूं की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ. राज्य में 3.30 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल की बुआई की गई थी और 6.17 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है.

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शिमला: शुष्क सर्दियों पड़ने और गर्मियों में बारिश होने के चलते मौसम के बदलते मिज़ाज ने हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए दोहरी परेशानी खड़ी कर दी है. उन्हें इस वजह से मौसमी फसलों को लेकर बड़ा नुकसान हुआ है. राज्य आपात संचालन केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल नौ मई तक फसलों और फलों का कुल नुकसान लगभग 104 करोड़ रुपये आंका गया है. इनमें से 40.60 करोड़ रुपये का नुकसान कृषि उपज को लेकर और 63.42 करोड़ रुपये की क्षति फलों को लेकर हुई है.

राज्य कृषि निदेशक राजेश कौशिक ने कहा कि सर्दियों में गेहूं के बीज की बुआई के बाद लंबे वक्त तक शुष्क मौसम रहा और गर्मियों में फसल की कटाई के वक्त बेमौसम बारिश हुई जिससे राज्य में गेहूं की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ. राज्य में 3.30 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल की बुआई की गई थी और 6.17 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है.

मौसम के मिज़ाज़ में तब्दीली से सेब उत्पादन भी प्रभावित हुआ है. ‘फ्रूट वेजिटेबल फ्लॉवर ग्रोअर्स एसोसिएशन' के अध्यक्ष हरीश चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा कि कम वर्षा और बर्फबारी के कारण अच्छी गुणवत्ता वाले सेबों के लिए जरूरी नमी बनाए रखना मुश्किल हो गया.

उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई में ओलावृष्टि से सेब की वृद्धि पर असर पड़ा है, क्योंकि गर्मी न पड़ने से सेब का आकार प्रभावित होता है. चौहान ने कहा कि पारंपरिक सेब की किस्मों के लिए करीब 800-1200 घंटों की ठंड की जरूरत पड़ती है.

उन्होंने कहा कि 2022-23 में 3.52 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन किया गया था और इस साल अनियमित मौसम की वजह से इसमें 30-40 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है. चौहान ने बताया कि प्रदेश में 94,000 हेक्टियर भूमि पर सेब की बागवानी की जाती है. हिमाचल प्रदेश में एक जनवरी से 28 फरवरी के बीच सर्दी के मौसम में औसत 187.1 मिमी की तुलना में 117 मिमी बारिश हुई. इसमें यह 37 फीसदी की कमी है.

वहीं एक मार्च से 10 मई के बीच मानसून पूर्व ऋतु में 12 प्रतिशत की अधिक बारिश हुई. इस दौरान बारिश का औसत 199.4 मिमी है जबकि 222.4 मिमी वर्षा हुई. मई के शुरुआती नौ दिनों में लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों में बर्फबारी हुई है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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