Lucknow News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow High Court) ने जमीन का मालिकाना हक छीनने और अवैध तरीके से निर्माण ढहाने (Bulldozer Action) के एक मामले में यूपी सरकार (UP Govt) को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने न केवल पीड़ित को न्याय दिया, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी पर 20 लाख रुपये का भारी-भरकम हर्जाना भी लगाया है.
बिना नोटिस के चला 'बुलडोजर'
यह विवाद रायबरेली जिले के देवनंदनपुर गांव का है. याचिकाकर्ता सावित्री सोनकर का नाम सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में जमीन के मालिक के तौर पर दर्ज था. इसके बावजूद संबंधित एसडीएम (SDM) ने 10 फरवरी को राजस्व संहिता की धारा 38 का इस्तेमाल कर बिना किसी सुनवाई के सावित्री का नाम हटा दिया. जमीन को ग्राम सभा का घोषित कर दिया गया और 24 मार्च को वहां बना निर्माण ढहा दिया गया. बाद में यह जमीन GST विभाग को सौंप दी गई.
'ये अवैध और मनमाना कदम था'
जस्टिस आलोक माथुर की सिंगल बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए प्रशासन की कार्यशैली को 'अवैध' करार दिया. अदालत के अपने आदेश में कहा कि विवादित जमीन का कब्जा तुरंत याचिकाकर्ता (सावित्री सोनकर) को लौटाया जाए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया गया है कि वह 2 महीने के भीतर मुआवजे की यह राशि याचिकाकर्ता को दे. इतना ही नहीं, कोर्ट ने राजस्व अधिकारियों की भूमिका पर संदेह जताते हुए अपर मुख्य सचिव (ACS) स्तर के अधिकारी से इसकी जांच कराने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि रिकॉर्ड में बदलाव करने से पहले याचिकाकर्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही उनका पक्ष सुना गया. यह पूरी कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध और सत्ता का दुरुपयोग है.
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