हाई कोर्ट (High Court) ने मंगलवार को एम्स नर्स यूनियन (AIIMS Nurse Union) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सुबह हड़ताल पर गईं उसकी सदस्य नर्सें तुरंत काम पर लौट आएं. न्यायमूर्ति यशंत वर्मा ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि हड़ताल से गंभीर पूर्वाग्रह पैदा होगा और संस्थान के कामकाज में गंभीर बाधा आएगी. याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को सूचित किया कि संघ की नर्सों ने 25 अप्रैल को प्रशासन द्वारा जारी एक नोटिस के बाद ड्यूटी पर आने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न सर्जरी रद्द कर दी गईं और एम्स का कामकाज प्रभावित हुआ है.
अदालत ने कहा, ''चूंकि संघ का फैसला गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करेगा और इससे चिकित्सा संस्थान के कामकाज पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, इसलिए प्रतिवादी संघ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि उसके सदस्य और नर्सिंग अधिकारी तुरंत अगले आदेश तक काम पर वापस आ जाएं.''
न्यायाधीश ने कहा कि नर्सों के संघ की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ. अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका को 27 अप्रैल को पूर्वाहन 10.30 बजे आगे की सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया जाए. एम्स नर्स , यूनियन ने अपनी अध्यक्ष हरीश काजला के निलंबन के कारण मंगलवार का सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए निलंबन रद्द करने की मांग की थी.