विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने आज एनडीटीवी को बताया कि कोविड के खिलाफ लड़ने के लिए प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने का विचार "मूर्खतापूर्ण" है क्योंकि इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. नए Omicron सब-वेरिएंट के बारे में उन्होंने कहा कि BA.2, BA.1 की तुलना में अधिक शक्तिशाली है और इसका ट्रांसमिशन अन्य सब-वेरिएंट से अधिक है. उन्होंने कहा कि यह कुछ देशों, विशेष रूप से भारत और डेनमार्क में अपनी पकड़ बना रहा है. डॉ स्वामीनाथन ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य निकाय अभी तक ओमिक्रॉन के प्रभाव पर टिप्पणी नहीं कर की जा सकती क्योंकि यह एक अपेक्षाकृत नया संस्करण है और अध्ययन अभी भी यह निर्धारित करने के लिए चल रहा है कि क्या यह पुन: संक्रमण का कारण बन सकता है और यह दीर्घकालिक प्रतिरक्षा को कैसे प्रभावित करता है.
उन्होंने कहा, "दो महीने यह जानने के लिए बहुत कम समय है कि क्या यह पुन: संक्रमण का कारण बनता है और यह दीर्घकालिक प्रतिरक्षा को कैसे प्रभावित करता है. हमने कुछ अध्ययनों को देखा जहां नए संस्करण से ठीक होने वाले मरीजों के रक्त ने डेल्टा संक्रमण में मदद की, लेकिन हम नहीं कह सकते कि यह भविष्य के वेरिएंट के लिए सही साबित होगा या नहीं."
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यह पूछे जाने पर कि कोविड के खिलाफ वर्तमान टीके ओमिक्रॉन को कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला स्तर के अध्ययनों से पता चलता है कि एंटीबॉडीज नए संस्करण को बेअसर करें ऐसी संभावना कम है, यहां तक कि डेल्टा संस्करण से भी कम जो पहले से ही वैक्सीन के लिए पिछले वेरिएंट की तुलना में कम प्रतिक्रियाशील था. हालांकि, अच्छी खबर यह है कि नैदानिक आंकड़ों से पता चलता है कि टीकाकरण वाले रोगियों में मृत्यु और गंभीर बीमारी के मामले कम हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है कि मौजूदा टीके ओमिक्रॉन स्ट्रेन पर काम करते हैं या नहीं.
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उन्होंने कहा, "हाइब्रिड इम्युनिटी इस समय हमारे पास सबसे मजबूत इम्युनिटी है - हाइब्रिड तब होता है जब कोई ओमिक्रॉन से संक्रमित हो गया हो और उसे वैक्सीन की खुराक भी मिल गई हो." यह पूछे जाने पर कि क्या अभी और म्यूटेशंस होंगे, उन्होंने कहा कि यह एक RNA वायरस है और इसमें म्यूटेशन होना स्वाभाविक है.